20 साल पुराना मामला, 'प्रतिभाशाली शिकारी' कहकर दी गई गाली, झूठे हैं आरोप: अकबर
अकबर ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह निजी तौर पर न्याय चाहते हैं, जिसमें उनके पद का कोई हस्तक्षेप न हो।
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ निजी तौर पर दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे में बुधवार को अपना बयान दर्ज कराया। पटियाला हाउस की विशेष अदालत में अकबर ने कहा कि रमानी ने उन्हें 'प्रतिभाशाली शिकारी' कहकर गाली दी है और अपमानित किया है। 'मी टू' अभियान के तहत उन पर लगे आरोप सिर्फ मिथ्या हैं। इसकी वजह से उन्हें क्षति पहुंची है। उन पर लगे यौन दुर्व्यवहार के आरोप झूठे हैं। बनावटी और झूठे 20 साल पुराने मामले में अब उन पर निजी तौर पर हमला किया गया है।
अकबर ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह निजी तौर पर न्याय चाहते हैं, जिसमें उनके पद का कोई हस्तक्षेप न हो। इसके चलते उन्होंने अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया है। इस प्रकरण में उनकी छवि न सिर्फ आम जनता, बल्कि उनके करीबियों की नजर में भी धूमिल हुई है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जब प्रिया रमानी ने 2017 में एक पत्रिका में लेख लिखा था तो उन्हें नामजद नहीं किया गया था। अकबर ने कोर्ट से मांग की कि उन पर लगे आरोप खारिज किए जाएं। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर के लिए तय की है। उस दिन उन गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे, जिनकी सूची अकबर ने अपने केस में सूचीबद्ध की है।
झूठी कहानी का सहारा
यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व मंत्री ने महिला पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दायर किया था। अकबर ने इस संबंध में अदालत में दायर केस में कहा था कि उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी काम किया है और देश की पहली साप्ताहिक पत्रिका शुरू करने से लेकर कई किताबें लिखी हैं। उनके खिलाफ झूठी कहानियों की एक श्रृंखला एक एजेंडे की पूर्ति के लिए प्रेरित तरीके से प्रसारित की जा रही है। उनकी छवि खराब करने के लिए रमानी ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से एक झूठी कहानी का सहारा लिया है।
पद से दिया था इस्तीफा
'मी टू' अभियान के तहत एमजे अकबर के साथ करीब 20 साल पहले काम कर चुकी रमानी ने उन पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। इसके बाद कई अन्य महिलाओं ने भी अकबर पर ऐसे ही आरोप लगाए थे। जिस समय उन पर आरोप लगाए गए, वह नाईजीरिया के आधिकारिक दौरे पर थे। विदेश से लौटने के बाद 17 अक्टूबर को अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।