कार्ति चिदंबरम को ED का नोटिस, दिल्ली के जोर बाग आवास को खाली करने का निर्देश
प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम को नोटिस जारी किया है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह अपना दिल्ली स्थित जोर बाग आवास खाली कर दें।
नई दिल्ली,एजेंसी। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम (Karti chidambaram) को प्रवर्तन निदेशालय Enforcement Directorate (ED) ने नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह अपना जोर बाग इलाके में स्थित घर खाली करें। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने उनके इस आवास को भ्रष्टाचार मामले में कुर्क किया था। वह इस मामले में आरोपी हैं।
पीएमएलए (मनी लान्ड्रिंग निवारण अधिनियम) कानून के तहत कार्ति को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। बता दें कि ईडी ने पिछले साल 10 अक्टूबर उनकी यह संपत्ति कुर्क की थी। जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि संबद्ध प्राधिकारी (Associated authority) इस कुर्की की 29 मार्च को पुष्टि की थी, जिसके बाद निर्देश जारी किया गया था।
गौरतलब है कि यह मामला विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड एफआईपीबी की तरफ से 2007 में आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये का निवेश हासिल करने के लिए दी गई मंजूरी से जुड़ा है। इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी का नाम भी सामने आया है। ईडी का आरोप है कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम ने नियमों का उल्लंघन करते हुए मंजूरी दी थी, जिसके बदले कार्ति चिदंबरम को मोटी रकम हासिल हुई थी। हालांकि चिदंबरम परिवार हमेशा ही इन आरोपों को नकारता आ रहा है और उनका कहना है कि यह आरोप राजनीति से प्रेरित है।
जानें क्या है INX मीडिया केस
आइएनएक्स मीडिया केस साल 2007 में आइएनएक्स मीडिया को मिले पैसों के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) से मंजूरी मिलने से जुड़ा हुआ है। 305 करोड़ रुपये के इस हाई प्रोफाइल घोटाले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम शामिल है। सीबीआई और ईडी केस में जांच कर रही है कि कैसे पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को 2007 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से आईएनएक्स मीडिया के लिए मंजूरी मिल गई थी, जबकि उस वक्त वित्त मंत्री खुद उनके पिता पी. चिदंबरम थे। सीबीआई और ईडी की जांच में ये पता चला कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाने के लिए आईएनएक्स मीडिया के निदेशक पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने पी. चिदंबरम से मुलाकात की थी, जिससे विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी में कोई देरी ना हो।
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