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    नेशनल हेराल्ड मामला निरस्त नहीं हुआ, सच छिपा रही है कांग्रेस; भाजपा ने लगाए आरोप

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    भाजपा ने कांग्रेस पर नेशनल हेराल्ड मामले में सच छिपाने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि अदालत ने मामले को निरस्त नहीं किया है, जबकि कांग्रेस जनत ...और पढ़ें

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    गौरव भाटिया। (फाइल)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े एक निजी शिकायत के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान न लिए जाने को कांग्रेस की ओर से जीत बताते हुए राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगने वाली कांग्रेस पर भाजपा ने पलटवार किया है।

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    पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि कांग्रेस सच छिपा रही है। निजी शिकायत के मामले में एफआइआर दर्ज नहीं थी। इस पर ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान न लेना क्लीन चिट नहीं है।

    उन्होंने दावा किया कि नेशनल हेराल्ड का ही धारा 420 का धोखाधड़ी से संबंधित जो पहला मामला है, उसमें अभी भी सोनिया गांधी नंबर एक तो राहुल गांधी नंबर दो के आरोपित हैं। भाटिया ने दावा किया कि ट्रायल कोर्ट ने भी इस मामले को निरस्त नहीं किया है। आदेश में कहा गया है कि ईडी आगे की जांच जारी रख सकती है।

    गौरव भाटिया ने आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड मामले में आए फैसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेसवार्ता कर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। कहा कि नेशनल हेराल्ड और एजेएल से जुड़ा मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है और कांग्रेस यह सच्चाई जनता को नहीं बता रही है। भाटिया ने सवाल उठाया कि क्या पहला मामला निरस्त या समाप्त हो गया है? तथ्य यह है कि पहला मामला अब भी विचाराधीन है और उसका ट्रायल जारी है, जिसमें सोनिया गांधी अब भी आरोपी नंबर एक और राहुल गांधी आरोपी नंबर दो हैं।

    दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि धारा 420 यानी चीटिंग और धोखाधड़ी का मामला नेशनल हेराल्ड और एजेएल कंपनी से जुड़ा है, जिसमें लगभग 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पने का आरोप है। यह मामला भी अभी खत्म नहीं हुआ है। सोनिया-राहुल जमानत पर बाहर हैं।

    भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि पहले मामले में धारा 420 के तहत सात साल की सजा हो सकती है और इसी को निरस्त कराने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी दिल्ली हाई कोर्ट गए थे, जहां प्रथम दृष्टया अदालत ने मामले को गंभीर बताते हुए खारिज करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद दोनों सर्वोच्च न्यायालय भी गए।

    12 जून 2016 का आदेश दिखाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ चल रही कार्यवाही को निरस्त करने का कोई औचित्य नहीं है और इसमें राजनीतिक द्वेष का कोई आधार नहीं पाया गया, जबकि आज मल्लिकार्जुन खरगे और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी इसे राजनीतिक द्वेष का मामला बता रहे हैं।

    उन्होंने यह भी कहा कि प्रश्न उठता है कि डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी यह तथ्य क्यों नहीं समझते कि प्राइवेट कंप्लेंट के मामले में, जहां न्यायालय स्वयं संज्ञान ले चुका हो, वहां राजनीतिक द्वेष का सवाल ही कहां से पैदा होता है। इसमें न तो पुलिस कोई जांच कर रही है, न कोई एफआईआर दर्ज है, बल्कि पूरा मामला न्यायालय के संज्ञान पर आधारित है।

    गौरव भाटिया ने गत दिवस प्रेसवार्ता में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा द्वारा ''गैंग्स ऑफ गांधीनगर'' जैसे शब्द बोलने पर तीखा पलटवार किया। इसे आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि यदि इसी भाषा में जवाब दिया जाए तो देश के लोग इन्हें ''डकैट्स ऑफ इटली'' भी कह सकते हैं।