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    आज भारत रत्न, कभी शव के लिए कांग्रेस ने बंद कर दिए थे मुख्यालय के दरवाजे; पढ़ें Narasimha Rao के एक्सिडेंटल PM बनने की कहानी

    Updated: Fri, 09 Feb 2024 03:44 PM (IST)

    Narasimha Rao Bharat Ratna पीएम मोदी ने आज आज पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का एलान किया है। कांग्रेस नेता नरसिम्हा राव को उनकी आर्थिक नीतियों और देश के लिए किए काम के लिए ये सम्मान दिया गया है। कांग्रेस नेता राव के गांधी परिवार के साथ अच्छे रिश्ते नहीं थे और उन्हें अचानक पीएम बनाया गया था जिसके चलते उन्हें एक्सिडेंटल पीएम भी कहा जाता है।

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    Bharat Ratna Narasimha Rao नरसिम्हा राव को मिला भारत रत्न।

    जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Bharat Ratna Narasimha Rao केंद्र सरकार ने आज पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का एलान किया है। पीएम मोदी ने एलान करते हुए नरसिम्हा राव के साथ चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने की बात कही है। 

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    'एक्सिडेंटल पीएम' थे नरसिम्हा राव

    पूर्व कांग्रेसी नेता नरसिम्हा राव 1991 से 1996 तक देश के पीएम रहे थे। हालांकि, उनके पीएम बनने का फैसला भी अचानक हुआ था, जिसके चलते उन्हें एक्सिडेंटल पीएम भी कहा जाता है। मशहूर पत्रकार संजय बारू ने अपनी किताब '1991 हाउ पीवी नरसिम्हा राव मेड हिस्ट्री’ में उन्हें पहले एक्सिडेंटल पीएम बताया है।

    दरअसल, 1991 में नरसिम्हा राव राजनीति छोड़ हैदराबाद जाकर बसने वाले थे, तभी राजीव गांधी की हत्या हो गई और राव को अचानक पीएम बनाने का फैसला हुआ। 

    गांधी परिवार से नहीं थे अच्छे रिश्ते

    राव के गांधी परिवार से भी अच्छे रिश्ते नहीं थे। सन 1992 में बाबरी विध्वंश के दौरान नरसिम्हा राव के गांधी परिवार से सबसे ज्यादा रिश्ते खराब हुए थे। बाबरी कांड के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेता राव से नाराज थे। 

    वहीं, मनमोहन सिंह के साथ देश में बड़ा आर्थिक सुधार किया था और वैश्विक बाजारों के लिए देश के दरवाजे खोले थे। राव के इन्हीं सुधारों का क्रेडिट लेने और राजीव गांधी के हत्यारों पर तेज कार्रवाई न करने के चलते गांधी परिवार के रिश्ते उनसे ज्यादा खराब हो गए थे।

    शव को नहीं मिली थी कांग्रेस मुख्यालय में जगह

    गांधी परिवार से नरसिम्हा राव के रिश्ते इतने खराब हो चुके थे कि उनके निधन के बाद भी उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय में रखने की जगह नहीं दी गई थी। शव को जब 24 अकबर रोड लेकर आया गया तो उसे आधे घंटे तक मुख्यालय के बाहर ही रखना पड़ा। इसके बाद शव को हैदराबाद ले जाया गया।