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    वोटरलिस्ट में हजारों लोगों के मकान नंबर जीरो क्यों? चुनाव आयोग ने बता दी असल वजह; राहुल को लगाई लताड़

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 02:52 AM (IST)

    मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि प्रवास और प्रशासनिक चूक के कारण कई लोगों के पास एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र हो सकते हैं। चुनाव अधिकारी इन गलतियों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण जैसे अभियानों से विसंगतियां दूर होंगी। सीईसी ने मकान नंबर शून्य वाले मतदाताओं का भी बचाव किया।

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    चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं (फोटो: स्क्रीनग्रैब)

    पीटीआई, नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि प्रवास (माइग्रेशन) या प्रशासनिक चूक के कारण लोगों के पास कई मतदाता पहचान पत्र होने की घटनाएं सामने आती हैं। चुनाव अधिकारी ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं।

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    विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसे अभियानों से ऐसी विसंगतियां दूर होंगी। ऐसे तीन लाख मामलों को ठीक किया भी गया है। ज्ञानेश कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, '2003 से पहले तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए कई लोग जो अलग-अलग जगहों पर चले गए, उनके नाम कई जगहों पर जोड़ दिए गए। आज एक वेबसाइट है, एक कंप्यूटर है, आप उसे सिलेक्ट करके हटा सकते हैं।'

    'फर्जी मतदाता कहना अपमान'

    उन्होंने कहा, 'भले ही किसी व्यक्ति के दो स्थानों पर वोट हों, वह केवल एक ही स्थान पर मतदान करने जाता है। दो स्थानों पर मतदान करना अपराध है और अगर कोई दोहरे मतदान का दावा करता है, तो प्रमाण आवश्यक है। प्रमाण मांगा गया था, लेकिन दिया नहीं गया।'

    कई मतदाताओं द्वारा अपने घरों को 'मकान संख्या शून्य' बताने के मुद्दे पर सीईसी ने कहा, 'कई लोगों के पास घर नहीं है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में भी है। जो पता दिया जाता है, वो वह जगह होती है जहां व्यक्ति रात में सोने आता है। कभी सड़क के किनारे, कभी पुल के नीचे। अगर ऐसे मतदाताओं को फर्जी मतदाता कहा जाता है, तो यह गरीब मतदाताओं के साथ एक बड़ा मजाक होगा।'

    जीरो हाउस नंबर का बताया मतलब

    उन्होंने कहा, 'शहरों में अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जहां उनके पास नंबर नहीं है, तो वे अपने फॉर्म में कौन सा पता भरें? इसलिए चुनाव आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर इस देश में ऐसा कोई मतदाता है, तो चुनाव आयोग उसके साथ खड़ा है और उसे एक काल्पनिक नंबर देगा। सिर्फ इसलिए कि जब वह कंप्यूटर में इसे भरता है, तो उसे शून्य दिखाई देता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मतदाता नहीं है।'

    सीईसी ने कहा, 'एआई और डीपफेक वास्तव में हमारे लिए असली चुनौतियां हैं। कल ही एक एक्स हैंडल ने एआई निर्मित एक वीडियो साझा किया था जो सच्चाई से कोसों दूर था। चुनाव आयोग ऐसी चुनौतियों से निपटने की पूरी कोशिश करेगा, लेकिन वह केवल कानून के दायरे में ही काम कर सकता है।'

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