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    MP Politics: भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व कांग्रेसियों के साथ समन्वय बनाना क्‍यों बन रहा चुनौती?

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:43 PM (IST)

    जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस से आए विधायक चुनाव हार गए थे वे भी आने वाले चुनाव में भाजपा से टिकट की अपेक्षा कर रहे हैं। पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता इस पक्ष में नहीं हैं। सिंधिया समर्थक सात विधायक अशोकनगर गुना और ग्वालियर-चंबल अंचल में सीट गंवा चुके हैं।

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    नगरीय निकाय के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए कुछ नेता

    धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश भाजपा में कांग्रेस से आए नेताओं के कारण समन्वय बनाने की चुनौती खड़ी हो गई है। हाल ही में हुए नगरीय निकाय के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए कुछ नेताओं ने संगठन के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ अपने समर्थक को जितवा दिया। संगठन के फैसलों को चुनौती दिए जाने से पार्टी चिंतित भी है। पार्टी इस तैयारी में है कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से आए नेताओं के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर लिया जाए ताकि चुनाव के समय दिक्कत खड़ी न हो।

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    सिंधिया समर्थक सात विधायक गंवा चुके हैं अपनी सीट

    दरअसल, जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस से आए विधायक चुनाव हार गए थे, वे भी आने वाले चुनाव में भाजपा से टिकट की अपेक्षा कर रहे हैं। जबकि, पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता इस पक्ष में नहीं हैं। सिंधिया समर्थक सात विधायक अशोकनगर, गुना और ग्वालियर-चंबल अंचल में अपनी सीट गंवा चुके हैं।

    गुना नगरपालिका में भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ स्थानीय मंत्री की समर्थक जीत गईं अध्यक्ष का चुनाव

    भाजपा में समन्वय का संकट सबसे पहले गुना जिले से प्रारंभ हुआ। पार्षद का चुनाव होने के बाद यहां से पार्टी ने नगरपालिका अध्यक्ष के लिए सुनीता रविंद्र रघुवंशी का नाम अधिकृत किया था। चुनाव प्रभारी बनाए गए संजीव कांकर ने ब्यावरा में जाकर सभी गुटों के साथ बैठक की और रायशुमारी कर सुनीता के नाम पर सभी को सहमत कराया। अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने की बारी आई तो भाजपा पार्षद सविता अरविंद गुप्ता ने भी नामांकन जमा कर दिया।

    भाजपा की बागी सविता गुप्ता को जिताने के पीछे मंत्री का हाथ

    इधर, कांग्रेस की ओर से रश्मि शर्मा अध्यक्ष पद की प्रत्याशी थीं। जब मतदान हुआ तो भाजपा प्रत्याशी सुनीता रघुवंशी को मात्र नौ वोट मिले। जबकि, 37 पार्षद वाले इस निकाय में भाजपा के 19 पार्षद जीते थे। दूसरी तरफ भाजपा की बागी सविता गुप्ता और रश्मि शर्मा को 13-13 वोट मिले। इसके बाद लाटरी में सविता विजयी हो गईं। इस घटनाक्रम से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नाराज है। इसके चलते पार्टी ने वहां के प्रभारी संजीव कांकर को हटा भी दिया। स्थानीय नेताओं ने संगठन को बताया है कि सविता गुप्ता को जिताने के पीछे कांग्रेस से आए नेता हैं, जो अभी मंत्री हैं। अचरज वाली बात ये है कि गुना की नपा अध्यक्ष को भाजपा अपना अध्यक्ष नहीं मान रही है।

    डबरा नगरपालिका में पूर्व मंत्री इमरती देवी ने अध्यक्ष तो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को बनवाया पर उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस पार्षद को जितवा दिया

    ऐसा ही वाक्या डबरा नगरपालिका परिषद के उपाध्यक्ष के चुनाव में भी हुआ। डबरा से पूर्व मंत्री इमरती देवी पहले कांग्रेस की विधायक थीं। सिंधिया के साथ भाजपा में आने के बाद उपचुनाव में हार गई। यहां पार्टी ने जिन पार्षदों के नाम अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए अधिकृत किए थे, उनमें अध्यक्ष तो भाजपा का बन गया लेकिन उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के कपिल खटीक की बजाए कांग्रेस पार्षद सत्येंद्र दुबे को उन्होंने जितवा दिया। निकाय चुनाव के दौरान ग्वालियर-चंबल के बहुत सारे क्षेत्रों में इस तरह की समस्या का सामना भाजपा को करना पड़ा। अब पार्टी के दिग्गज चिंतित है कि इनके साथ समन्वय किस तरह बिठाया जाए।

    गुना भाजपा के जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार ने कहा कि गुना नगरपालिका परिषद में सविता गुप्ता भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव लड़ीं थीं इसलिए भाजपा विपक्ष में बैठेगी।

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