मनमोहन सिंह के स्मारक पर विवाद, जानिए समाधि स्थल बनाने की क्या है प्रक्रिया; कैसे दी जाती है जमीन
Manmohan Singh Memorial News पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक का निर्माण सीपीडब्लूडी की ओर से किया जाएगा लेकिन इस पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी भूमि और विकास विभाग की है जिस पर पूरी दिल्ली में केंद्र सरकार की संपत्तियों का दायित्व है। इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन आवश्यक है। निर्माण संबंधी खर्चों का भुगतान इसी ट्रस्ट के जरिये किया जाता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के स्थान के संदर्भ में निर्णय लेने में समय लग सकता है। केंद्र सरकार की ओर से शुक्रवार को ही इसके लिए सहमति जताए जाने के बाद आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि स्मारक के स्थल के संदर्भ में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसके लिए जगह के चयन से लेकर निर्माण और स्थल के रखरखाव और संरक्षण की व्यवस्था करनी होगी।
स्मारक बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन अनिवार्य
स्मारक का निर्माण सीपीडब्लूडी की ओर से किया जाएगा, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी भूमि और विकास विभाग की है, जिस पर पूरी दिल्ली में केंद्र सरकार की संपत्तियों का दायित्व है। इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन आवश्यक है। निर्माण संबंधी खर्चों का भुगतान इसी ट्रस्ट के जरिये किया जाता है। जब तक ट्रस्ट नहीं बनता तब तक इस मामले में आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
सीपीडब्लूडी के सूत्रों ने कहा है कि भूमि और विकास विभाग की ओर से उसे जगह के चयन और निर्माण की प्रक्रिया और लागत आदि के बारे में बताने के लिए कहा जाएगा। इसके बाद भूमि विकास विभाग अपना प्रस्ताव शहरी कार्य मंत्रालय को सौंपेगा।
सूत्रों ने इस बात को भी गलत बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक के संदर्भ में निर्णय आनन-फानन में हो गया था। स्मारक का निर्माण अटल स्मृति न्यास नामक ट्रस्ट के गठन के बाद हुआ था।
बनाया जाएगा सामूहिक स्मारक मैदान
सूत्रों ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के समय ही 2013 में यह कैबिनेट निर्णय हुआ था कि राजघाट में राष्ट्रीय स्मृति स्थल के रूप में एक सामूहिक स्मारक मैदान बनाया जाएगा, क्योंकि जगह की कमी के कारण अलग-अलग स्मारक स्थलों का निर्माण कठिन है। उस समय मनमोहन सिंह ही प्रधानमंत्री थे।
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