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    गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे होंगे विपक्ष के नेता

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 11:22 AM (IST)

    कांग्रेस ने राज्यसभा में अपना नया नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता होंगे। कांग्रेस पार्टी से इसके संबंध में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखा है।

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    गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे। (फोटो: दैनिक जागरण)

    नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस ने राज्यसभा में अपना नया नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है। बजट सत्र के आखिरी दिन यानि 15 फरवरी को मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद(Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उससे पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने नेता प्रतिपक्ष का चुनाव कर लिया है। कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun  Kharge) को नेता प्रतिपक्ष चुना है। कांग्रेस से राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने जाने के संबंध में संसद के ऊपरी सदन यानि राज्यसभा के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।

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    कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को खड़गे को आजाद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद विपक्ष के नेता के पद पर नियुक्त करने के लिए लिखा है। गुलाम नबी आजाद का 15 फरवरी को कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पद खाली हो जाएगा। गुलाम नबी आजाद, जम्मू-कश्मीर से उच्च सदन के सदस्य हैं। जम्मू कश्मीर वर्तमान में अनुच्छेद-370 हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद वहां परिसीमन का कार्य चल रहा है। परिसीमन का कार्य समाप्त होने के बाद विधानसभा चुनाव कराया जाएगा। इसके बाद ही उच्च सदन के सदस्यों के लिए चुनाव संभव है।

    कर्नाटक के एक दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे 2014 से 2019 तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता थे। कांग्रेस पार्टी को पूर्व और वर्तमान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं मिल सका क्योंकि सदन में उनकी संख्या कम थी। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा करने के लिए निचले सदन की कुल सीटों का कम से कम 10 प्रतिशत अनिवार्य है।

    पीएम मोदी ने कहा था- कठिन होगा अगले विपक्ष के नेता का काम

    इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेता को भावुक विदाई देते हुए कहा था कि जो व्यक्ति गुलाम नबी जी (विपक्ष के नेता के रूप में) का स्थान लेगा उसे अपना काम करने में कठिनाई होगी, क्योंकि वह केवल उनकी पार्टी के बारे में ही नहीं, लेकिन देश और सदन के बारे में भी चिंतित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस भाषण में गुलाम नबी आजाद से जुड़े कई पहलुओं पर अपनी राय प्रकट की थी।