Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शरद पवार ने रखी थी 'भगवा आतंकवाद' की बुनियाद, फिर ATS ने गढ़ी कहानी; मालेगांव में उस दिन क्या हुआ था?

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 07:26 PM (IST)

    मालेगांव विस्फोट कांड के फैसले के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने कांग्रेस से माफी मांगने को कहा। शरद पवार ने भगवा आतंकवाद नैरेटिव की बुनियाद रखी। 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोटों के बाद पवार ने पुलिस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया जिसमें मुस्लिम संगठनों की जांच पर जोर दिया जाता था लेकिन हिंदू संगठनों पर नहीं।

    Hero Image
    शरद पवार ने अपने पार्टी अधिवेशन में यह बात कही थी (फोटो: पीटीआई)

    ओमप्रकाश तिवारी, जागरण, मुंबई। मालेगांव विस्फोट कांड (द्वितीय) का फैसला आने के बाद अब तत्कालीन सरकारों पर राजनीतिक हमला भी तेज हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि इस प्रकार का नैरेटिव फैलाने के लिए अब कांग्रेस देश से माफी मांगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेकिन इन विस्फोटों के बाद चंद दिनों के घटनाक्रम स्पष्ट इशारा करते हैं कि 'भगवा आतंकवाद नैरेटिव' की बुनियाद तो राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने रखी थी। जब मालेगांव में विस्फोट हुआ था, उस समय केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह संप्रग की सरकारें थीं। केंद्र में गृह मंत्री कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल थे, तो महाराष्ट्र के गृह मंत्री शरद पवार की पार्टी राकांपा के नेता आरआर पाटिल थे।

    29 सितंबर 2008 को हुए थे हमले

    विस्फोट का समय महत्वपूर्ण था। उन दिनों मुस्लिमों का पवित्र रमजान चल रहा था, और अगले दिन से हिंदुओं का नवरात्र शुरू होने जा रहा था। ये विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की रात हुए। 'संयोग से' इस विस्फोट के कुछ दिन बाद 5-6 अक्टूबर को मुंबई के निकट अलीबाग में अविभाजित राकांपा का तीन दिवसीय अधिवेशन शुरू होने वाला था।

    मालेगांव के भीखू चौक जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में विस्फोट से क्षतिग्रस्त कई मोटरसाइकिलों की नंबर प्लेट से हुई पहचान में एक मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की निकली। विस्फोट के तीन-चार दिनों में सामने आई इस सूचना के बाद राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मनमोहन सरकार में कृषि मंत्री शरद पवार ने पार्टी के समापन समारोह में अपनी ही पुलिस पर आतंकवाद के मामलों में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था।

    शरद पवार ने लिया था बजरंग दल का नाम

    • उनका कहना था कि पुलिस आतंकी घटनाओं में सिर्फ सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों की जांच करती है, बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों की नहीं। तब पवार ने साफ कहा था कि यदि आतंक के लिए मुस्लिमों को निशाने पर लिया जा सकता है, तो सनातन प्रभात और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?
    • उन्होंने गृह विभाग के अधिकारियों को नजरिये में बदलाव लाने के निर्देश देते हुए कहा था कि अंतत: देश की एकता सर्वोपरि है। अन्यथा इसकी कीमत समाज को चुकानी पड़ सकती है। पवार ने इसी संबोधन में कहा था, जो भी लोग गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं, चाहें वे बजरंगदल के हों या सिमी के, उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। समाज के किसी एक हिस्से पर ही आतंकी का ठप्पा लगा देना, अच्छे संकेत नहीं हैं।
    • पवार ने जिस दौरान ये बातें कही थीं, उस दौरान आरआर पाटिल मंच पर उनके साथ मौजूद थे। शरद पवार के इस प्रकार दिखाए गए सख्त तेवरों से राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल एवं पुलिस विभाग के अन्य अधिकारियों ने मालेगांव (द्वितीय) की जांच कुछ नए एंगल से करने की सोची और सबसे पहले मोटरसाइकिल के आधार पर साध्वी प्रज्ञा तक जा पहुंची। उसके बाद एटीएस द्वारा बुनी गई पूरी कहानी गुरुवार को एनआईए कोर्ट में ध्वस्त हो चुकी है।

    सिमी ने कराए थे धमाके

    माना जाता है कि शरद पवार ने अपने पार्टी अधिवेशन में यह बात इसलिए कही होगी, क्योंकि ठीक दो वर्ष पहले आठ सितंबर, 2006 को मालेगांव में ही हुए तीन विस्फोटों में 37 लोग मारे गए थे और 312 घायल हुए थे। तब भी गृह मंत्री आरआर पाटिल ही थे और इस मामले में आरोपी बनाए गए सभी नौ लोग मुस्लिम थे।

    एटीएस के अनुसार, ये विस्फोट लश्कर-ए-तैयबा के सहयोग से सिमी ने करवाए थे। इन गिरफ्तारियों का गुस्सा पूरे महाराष्ट्र के मुस्लिम समाज में फैल रहा था। जिसका नुकसान अगले वर्ष होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हो सकता था। इसलिए एटीएस ने विस्फोट से जुड़े तथ्य जुटाने के बजाय एक कहानी बनाने पर ध्यान दिया, जो कोर्ट में न चलनी थी, न चली।

    यह भी पढ़ें- Malegaon Blast Case: 'RDX का सबूत नहीं, CDR का भी सर्टिफिकेट नहीं'; पढ़ें NIA कोर्ट के फैसले की खास बातें