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    'सिर्फ अपमान और बेइज्जती मिली...' 20 साल पहले शिवसेना से अलग हुए थे राज ठाकरे; क्यों आई थी ठाकरे ब्रदर्स में दरार?

    Updated: Sun, 20 Apr 2025 05:42 PM (IST)

    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मतभेद भुलाकर साथ आने के संकेत दिए हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने भी कहा है कि मैं छोटे-मोटे विवादों को अलग रखने के लिए तैयार हूं। बता दें कि दिसंबर 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अपनी राह अलग करने का एलान किया था। बाल ठाकरे इस फैसले से बेहद दुखी थे।

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    राज ठाकरे अपने चाचा बाल ठाकरे के बेहद करीबी माने जाते थे (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत का जब कभी इतिहास लिखा जाएगा, तो शिवसेना को लेकर उन दो घटनाओं का जिक्र जरूर होगा, जब पार्टी का अंदरूनी मनमुटाव सड़क पर आ गया और नतीजे में दो धड़े के बीच अलगाव देखने को मिला।

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    एक घटना वो थी, जब दो भाइयों के बीच अलगाव के चलते राज ठाकरे के नेतृत्व में मनसे का जन्म हुआ और दूसरी घटना वो, जब एकनाथ शिंदे के बगावत के बाद पार्टी हो हिस्सों में बंट गई। अब बरसों बाद राज ठाकरे ने अपने भाई उद्धव के साथ तकरार खत्म करने के संकेत दिए हैं। आज आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ था, जब ठाकरे बंधुओं के बीच इतनी खटास बढ़ गई थी।

    बाल ठाकरे के करीबी थे राज

    ये बात उस दौर की है जब महाराष्ट्र में एक ही नाम गूंजता था- बाल ठाकरे। बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी और इसके कार्यकर्ता शिवसैनिक कहलाए। बाल ठाकरे के सबसे करीबी माने जाते थे उनके भतीजे राज ठाकरे। लोगों के बीच ये चर्चा थी कि राज ठाकरे में अपने चाचा बाल ठाकरे जैसे ही गुण हैं। उस वक्त तक माना जाता था कि राज ठाकरे ही बाल ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे।

    लेकिन 23 जुलाई 1996 को दादर निवासी रमेश किनी की मौत के बाद राज ठाकरे विवादों में आ गए। रमेश किनी ने मौत का आरोप राज ठाकरे पर ही लगाया। इसके बाद शिवसेना में बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की एंट्री होती है। उद्धव की एंट्री के साथ ही पार्टी की कई जिम्मेदारियां राज ठाकरे से लेकर उद्धव को दे दी गईं। धीरे-धीरे पार्टी में राज का रोल कम हो गया और उद्धव के नेतृत्व में हुए एक चुनाव में पार्टी को अच्छी बढ़त भी मिली। इससे उद्धव के नेतृत्व पर ठप्पा भी लग गया।

    शिवसेना से अलग होने का किया एलान

    • बाद में राज ठाकरे केस से बरी भी हो गए। इसके बाद उद्धव को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। नाम का प्रस्ताव राज ठाकरे से ही रखवाया गया, जिससे ऐसा लगे कि दोनों भाइयों में कोई मतभेद नहीं है। लेकिन ये अभिनय ज्यादा दिन तक चल न सका।
    • 18 दिसंबर 2005 को मुंबई के शिवाजी पार्क जिमखाना पत्रकारों से खचाखच भरा था। चर्चा भी कि राज ठाकरे आज कुछ बड़ी घोषणा कर सकते हैं। हुआ था ऐसा ही। राज ठाकरे आए और आते ही कहा, 'मैं अपने सबसे बुरे दुश्मन के लिए भी आज जैसा दिन नहीं चाहूंगा। मैंने सिर्फ़ सम्मान मांगा था। मुझे सिर्फ़ अपमान और बेइज्जती मिली।'
    • इसके साथ ही राज ठाकरे ने शिवसेना से अपनी राह अलग कर ली थी। इसके ठीक तीन महीने बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे का गठन किया। राज ठाकरे के फैसले पर तब उद्धव ने कहा था कि 'ये गलतफहमी का नतीजा है। मुझे उम्मीद थी कि मतभेद बातचीत से हल हो जाएंगे। लेकिन बाल ठाकरे से मिलने के बाद भी वे अड़े हुए थे।'
    • चर्चा ये भी थी कि बाल ठाकरे राज के फैसले से बेहद दुखी थी और वह नहीं चाहते थे कि राज अलग हों। कई कोशिशों के बाद भी राज ठाकरे और उद्धव एक नहीं हो सके। लेकिन अब दो दशक बाद दोनों ने अपनी ओर से मतभेद भुलाने के संकेत दिए हैं और माना जा रहा है कि दो भाई फिर से एक साथ आ सकते हैं।

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