मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से, द्वितीय अनुपूरक बजट पेश करेगी मोहन सरकार
मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है, जिसमें मोहन सरकार द्वितीय अनुपूरक बजट पेश करेगी। सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है। सरकार का लक्ष्य राज्य के विकास से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है। विपक्ष भी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है।

मध्य प्रदेश विधानसभा। (सोशल मीडिया)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार प्रारंभ होगा। इसमें कुल चार बैठकें होंगी। इसमें सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेगी। वहीं, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाताओं से कराने, दुकान एवं कारखाना, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायकों के वेतन भत्ते संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे।
एक से पांच दिसंबर तक चलने वाले सत्र में तीन दिसंबर को अवकाश रहेगा। दो मार्च को द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत होगा, जो दस हजार करोड़ रुपये के आसपास रह सकता है। इसमें ऐसी किसी नई योजना के लिए प्रविधान नहीं रहेंगे, जिसका भार राज्य के खजाने पर आए।
विकास की योजनाओं के लिए प्रविधान सदन में रखे जाएंगे
केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्यांश के साथ, जल जीवन मिशन, भावांतर योजना और अधोसंरचना विकास की योजनाओं के लिए प्रविधान रखे जाएंगे। वहीं, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव तीन साल के बाद फिर सीधे मतदाताओं से कराने के लिए संशोधन विधेयक रखा जाएगा। 2022 में पार्षदों के माध्यम से अध्यक्ष का चुनाव हुआ था।
नई व्यवस्था में रीकॉल व्यवस्था लागू हो जाएंगी यानी अध्यक्ष के प्रति अविश्वास होने पर राज्य निर्वाचन आयोग खाली कुर्सी भरी कुर्सी का चुनाव कराएगा। दुकानदार और कामगारों के लिए सप्ताह में एक दिन अनिवार्य अवकाश, दुकाने खोलने गुमास्ता लायसेंस की फीस पांच हजार रुपये करने जैसे प्रविधान दुकान एवं कारखाना संशोधन विधेयक में प्रस्तावित किए जाएंगे।
कांग्रेस उठाएगी एसआईआर का मुद्दा
सत्र के लिए छह स्थगन, 194 ध्यानाकर्षण, 52 शून्यकाल और 14 अशासकीय संकल्प की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। उधर, कांग्रेस सत्र में कानून व्यवस्था, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पर अत्याचार, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण, जल जीवन मिशन की गड़बड़ी, कृषि उपजों का मूल्य के साथ खाद समय पर नहीं मिलने का मुद्दा प्रमुखता से उठाएगी।

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