Move to Jagran APP

लोकसभा में पारित हुआ बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक, वित्त मंत्री बोलीं- सहकारी बैंकों का कामकाज सुधारना है लक्ष्य

सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे में लाने के लिए बैंकिंग विनियमन कानून में संशोधन के जरिये सरकार का लक्ष्य इनके कामकाज में सुधार लाना है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 12:05 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 12:05 AM (IST)
लोकसभा में पारित हुआ बैंकिंग विनियमन संशोधन विधेयक, वित्त मंत्री बोलीं- सहकारी बैंकों का कामकाज सुधारना है लक्ष्य

नई दिल्ली, पीटीआइ। सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के दायरे में लाने के लिए बैंकिंग विनियमन कानून में संशोधन के जरिये सरकार का लक्ष्य इनके कामकाज में सुधार लाना है। इन बदलावों से जमाकर्ताओं का पैसा भी सुरक्षित होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यह बात कही। इस संबंध में बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को लोकसभा ने पारित कर दिया है।

loksabha election banner

सदन में विधेयक पेश करते समय वित्त मंत्री ने बताया कि सहकारी बैंकों का सकल फंसा कर्ज (एनपीए) मार्च, 2019 में 7.27 फीसद था, जो मार्च, 2020 में बढ़कर 10 फीसद से ऊपर चला गया। वित्त वर्ष 2018-19 में 277 शहरी सहकारी बैंक घाटे में रहे थे। मार्च, 2019 के आखिर में 100 से ज्यादा शहरी सहकारी बैंक न्यूनतम पूंजी की नियामकीय शर्त भी पूरी करने में सक्षम नहीं रह गए थे। 47 बैंकों की नेटवर्थ निगेटिव हो चुकी थी।

इस साल जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अध्यादेश के जरिये सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियंत्रण में लाने की मंजूरी दी थी। साथ ही वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होने वाले प्रावधानों को सहकारी बैंकों पर भी प्रभावी कर दिया गया था।

विपक्ष की ओर से अध्यादेश के जरिये बैंकिंग विनियमन कानून में बदलाव के कदम के विरोध पर वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश इसलिए लाने की जरूरत पड़ी क्योंकि बहुत से सहकारी बैंकों की स्थिति बहुत चिंताजनक हो चुकी थी। महामारी के कारण पड़े दबाव से इनका एनपीए बहुत बढ़ गया। इसलिए जमाकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को अध्यादेश के जरिये कानून में संशोधन करना पड़ा।

वित्त मंत्री ने कहा, 'हम स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटीज को किसी तरह प्रभावित नहीं करने जा रहे हैं। हम प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटीज के लिए नियमों में बदलाव नहीं कर रहे हैं। हमने मूल रूप से कृषि विकास के लिए लंबी अवधि का फाइनेंस उपलब्ध कराने वाली को-ऑपरेटिव सोसायटीज के नियमों में भी कोई बदलाव नहीं किया है। संशोधित कानून केवल बैंकिंग में लगी को-ऑपरेटिव सोसायटीज पर ही लागू होगा।'

विलय की संभावनाएं तलाश रहा पीएमसी बैंक

घोटाले का शिकार हुआ पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक विलय की संभावनाएं तलाश रहा है। इस संबंध में पीएमसी ने कई बड़े बैंकों से संपर्क किया है। दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी फाइलिंग में बैंक के प्रबंधन ने यह बात कही है। प्रबंधन का कहना है कि महामारी के कारण बड़े कर्जदारों से वसूली का काम प्रभावित हुआ है। पिछले साल घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। उसके बाद ग्राहकों के लिए रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा एक लाख रुपये तय कर दी थी। इस कारण से हजारों जमाकर्ता अपनी राशि निकालने में सक्षम नहीं हैं। छह राज्यों में पीएमसी की 137 शाखाएं हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.