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    Lok Sabha Election 2024: राम मंदिर, CAA... वोटिंग से पहले इन मुद्दों पर जनता की रहेगी नजर; चुनाव में साबित होंगे डिसाइडिंग फैक्टर

    Updated: Sun, 17 Mar 2024 03:10 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 इस बार लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से सात चरणों में होंगे। मतगणना 4 जून को होगी। चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी पार्टियां आम लोगों को लुभाने की रणनीति बनाने में जुट गई हैं। इस बीच कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर जनता की नजर है और वो वोट डालने से पहले ध्यान में रख सकते हैं। आइए जानें उनके बारे में....

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    Lok Sabha Election 2024 सीएए और राम मंदिर इस बार होगा अहम मुद्दा।

    जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा हो गई है। मुख्य आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को घोषणा करते हुए कहा कि इस बार चुनाव 19 अप्रैल से सात चरणों में होंगे। मतगणना 4 जून को होगी।

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    चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी पार्टियां आम लोगों को लुभाने की रणनीति बनाने में जुट गई हैं। इस बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर जनता की नजर है और वो वोट डालने से पहले ध्यान में रख सकते हैं। आइए, जानें उनके बारे में........

    महंगाई

    चाहे इंदिरा गांधी के समय का चुनाव (Lok Sabha Election 2024) हो या पीएम मोदी के समय का, महंगाई हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रही है। हर पार्टी ने महंगाई घटाने की बात की, लेकिन कोई इस पर अमल नहीं कर सका। हालांकि, मोदी के दूसरे कार्यकाल में इसपर अधिक सतर्कता बरती गई।

    मोदी सरकार ने खुदरा महंगाई को स्थिर रखा। वहीं, हाल ही में पेट्रोल-डीजल के दाम में भी कमी की गई। एलपीजी की कीमतों में भी कई बार कटौती हुई है। वहीं, सरकार ने गरीबों को महंगाई से राहत देने के लिए 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त अनाज भी वितरित किया। 

    सीएए 

    भाजपा ने सीएए को पिछली बार अपने चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था और उसे लागू कर अपना वादा निभाने का काम किया। सीएए के अधिसूचित होने के बाद विपक्ष भाजपा पर हमलावर है और इसे धार्मिक भेदभावपूर्ण कानून बता रहा है।

    सीएए का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि भाजपा हिंदू 'भावना' को बढ़ावा देने के लिए इसका कितना उपयोग कर सकती है और विपक्ष इसका उपयोग ध्रुवीकरण की बात करने के लिए कर सकता है। अब देखना होगा कि जनता इसे किस आधार पर लेती है, भाजपा और विपक्ष दोनों इसे इस चुनाव में मुद्दा बनाने वाले हैं।

    बेरोजगारी

    विपक्ष इस बार बेरोजगारी को सबसे बड़े मुद्दों में से एक की तरह दिखाने का काम करेगा। हालांकि, इसे वो वोटों में कैसे तबदील करा पाएगा, वो देखने वाली बात होगी। इसे विपक्ष का सबसे शक्तिशाली हथियार कहा जा सकता है, लेकिन भारतीय चुनावों में बेरोजगारी कभी भी निर्धारण कारक नहीं रहा है।

    सत्ता पक्ष हो या विपक्ष दोनों युवाओं को लुभाने के लिए नई नौकरियों के वादे कर सकते हैं। कांग्रेस ने तो इस बीच हर युवा को नौकरी देने का वादा तक कर दिया है। अब देखना ये होगा कि लोग किसकी बातों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।

    राम मंदिर

    राम मंदिर हमेशा से भाजपा के चुनावी मुद्दों के केंद्र में रहा है। भाजपा पिछले चुनाव तक इसे बनाने का वादा किया था और अब जब राम मंदिर बनकर तैयार है तो देखना ये होगा कि क्या भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने में कामयाब रहती है या नहीं। 

    भाजपा को उम्मीद है कि राममंदिर के कारण उसे हिंदू वोट भारी संख्या में मिल सकते हैं और यूपी समेत उत्तर भारत में इसका काफी प्रभाव दिख सकता है।  

    गठबंधन

    भाजपा नीत एनडीए गठबंधन हो या विपक्ष का इंडी गठबंधन दोनों चुनाव जीतने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। हालांकि, गठबंधन भी चुनावी जीत में अहम रोल निभा सकता है। ये इस पर निर्भर करता है कि गठबंधन की पार्टियां किस तरह काम करती हैं। 

    एक तरफ जहां एनडीए ने नीतीश से लेकर नायडू तक के अपने पुराने साथियों का साथ लाने का काम किया है। वहीं, विपक्ष में आज भी तालमेल नहीं बन रहा है। नीतीश ने इंडी गठबंधन को छोड़ा तो वहीं ममता ने भी इंडी गठबंधन से दूरी बना ली है।  

    महिला

    इस बार के चुनाव में महिलाएं भी अहम फैक्टर होने वाली हैं। दरअसल, चुनाव आयोग के अनुसार इस बार महिला वोटर्स में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। 85 लाख फर्स्ट टाइम महिला वोटर्स इस बार मतदान करेंगी। भाजपा पहले ही महिलाओं के लिए कई योजनाएं लाकर अपना वोट बैंक बढ़ाने पर काम कर चुकी है। 

    महिला आरक्षण बिल भी भाजपा के लिए तुरुप का इक्का बन सकता है। उधर, विपक्षी पार्टियां भी महिला वोटर्स को लुभाने के लिए कई वादे कर रही हैं। 

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