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    'दूर भी पास भी' की कशमकश में विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए, खत्म होने को है बजट सत्र; नहीं हुई संयुक्त बैठक

    Updated: Sun, 30 Mar 2025 05:30 AM (IST)

    संसद में संयुक्त रणनीति के मसले पर विपक्षी घटकों के बीच दूरी साफ दिखाई पड़ी। तालमेल का यह अभाव इस रूप में नजर आया कि बजट सत्र के पहले चरण में सदन में साझी रणनीति के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की नियमित होने वाली बैठक दूसरे चरण में अब तक नहीं हो पाई है। सदन में विपक्षी खेमे के नेताओं की अब तक संयुक्त रणनीति बैठक नहीं हुई।

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    संसद में संयुक्त रणनीति के मसले पर विपक्षी घटकों के बीच दूरी साफ दिखाई पड़ी (फाइल फोटो)

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के घटक दलों के बीच सियासी कशमकश ऐसी है कि वे पास भी हैं और दूर भी।

    मसला चाहे लोकसभा में नेता विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों से वंचित किए जाने का हो या बंगाल में डुप्लीकेट फोटो मतदाता पहचान पत्र विवाद से लेकर परिसीमन का, इन सब पर विपक्षी खेमे के दल संसद के दोनों सदनों में एक दूसरे का साथ देते दिखाई दिए। लेकिन संसद में संयुक्त रणनीति के मसले पर विपक्षी घटकों के बीच दूरी साफ दिखाई पड़ी।

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    तालमेल का यह अभाव इस रूप में नजर आया कि बजट सत्र के पहले चरण में सदन में साझी रणनीति के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की नियमित होने वाली बैठक दूसरे चरण में अब तक नहीं हो पाई है। जबकि बजट सत्र खत्म होने में अब केवल चार दिन ही रह गए हैं।

    बजट सत्र समाप्त होने में केवल चार दिन

    सरकार की संसद में घेरेबंदी के लिए संयुक्त तालमेल को लेकर आइएनडीआइए के दलों की यह दूरी इसलिए चर्चा का विषय है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में मजबूत होकर उभरने के बाद विपक्ष ने बजट सत्र के पहले चरण तक संसद में संयुक्त रणनीति को लेकर बैठकें की।

    संसद के दोनों सदनों में मुख्य विपक्षी दल के सबसे वरिष्ठ नेता होने के नाते कांग्रेस अध्यक्ष तथा राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यालय कक्ष में आइएनडीआइए के दलों के नेताओं की नियमित बैठकें होती थीं।

    तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस में ठनी

    इसमें दोनों सदनों में मुद्दे उठाने से लेकर विधायी मसलों पर व्यापक साझा दृष्टिकोण की रणनीति पर फोकस रहता था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के बढ़ते वर्चस्व को रोकने की रणनीति के तहत बजट सत्र के पहले चरण में ही इससे दूरी बनानी शुरू कर दी।

    दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस की हुई खुली जंग के बाद आप ने भी बैठक को लेकर उदासीनता दिखाई। खरगे ने इसके बाद भी सत्र के पहले चरण में अन्य विपक्षी खेमे के नेताओं संग बैठक का सिलसिला जारी रखा लेकिन दूसरे चरण में ऐसी कोई बैठक अब तक नहीं बुलाई।

    अहम मसलों पर एक दूसरे के साथ खड़े भी हुए

    बेशक संसद में रणनीति तय करने के लिए खरगे और राहुल गांधी के साथ दोनों सदनों में पार्टी के नेताओं तथा सांसदों की बैठकें होती रही हैं। विपक्षी खेमे के बीच पास भी और दूर भी के इस कशमकश का दिलचस्प पहलू यह भी है कि अहम मसलों पर एक दूसरे के साथ खड़े भी हुए हैं।

    इसका सबसे ताजा उदाहरण लोकसभा में राहुल गांधी के खिलाफ स्पीकर की टिप्पणी तथा उन्हें बोलने का मौका न दिए जाने का मुद्दा रहा। तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी गठबंधन के सभी प्रमुख नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष को संयुक्त पत्र लिखकर नेता विपक्ष के साथ खड़े होने का संदेश दिया, जिसमें टीएमसी नेता भी शामिल थे।

    परिसीमन पर आप-टीएमसी-कांग्रेस सबके सुर रहे एक

    वहीं बंगाल में इपिक के मुद्दे पर तृणमूल के आक्रामक तेवरों का दोनों सदनों में कांग्रेस ने साथ दिया तो परिसीमन पर भी आप-टीएमसी-कांग्रेस के बीच एक राय दिखी। संसद सत्र के दौरान बीते हफ्ते कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की इफ्तार पार्टी में खरगे-राहुल गांधी के साथ टेबल पर आप नेता संजय सिंह से लेकर टीएमसी के कीर्ति आजाद समेत कई नेता नजर आए।

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    ब्रिटेन दौरे पर गईं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ भाजपा के समर्थक माने जाने वालों के विरोध प्रदर्शन को भी कांग्रेस के कई नेताओं ने गलत ठहराते हुए इसे भारत की बेटी का अपमान बताने में हिचक नहीं दिखाई।