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Koo Studio- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के चुनावी वादों व दावों पर एक्सपर्ट्स का विश्लेषण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अंतिम दौर में है। इसके सातवें व आखिरी चरण का चुनाव 7 मार्च को होगा व 10 मार्च को परिणामों की घोषणा भी की जाएगी। यह पूरा चुनाव विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद खास रहा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 05 Mar 2022 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 07 Mar 2022 02:16 PM (IST)
Koo Studio- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के चुनावी वादों व दावों पर एक्सपर्ट्स का विश्लेषण
Koo Studio के खास प्रोग्राम चुनावी तर्क विर्तक के तीसरे एपिसोड में इसी मुद्दे पर चर्चा की गई।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है। इसके सातवें व आखिरी चरण का चुनाव 7 मार्च को होगा व 10 मार्च को परिणामों की घोषणा भी की जाएगी। बता दें कि सभी विधानसभा सीटों पर प्रचार भी थम चुका है। यह पूरा चुनाव विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद खास रहा। सत्ता में विराजमान भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए मैदान में उतरी है तो वहीं प्रमुख विपक्ष के रूप में समाजवादी पार्टी अपना जनाधार वापस प्राप्त करना चाहती है। इसके साथ ही कांग्रेस व बसपा भी इन राज्यों में अपनी वापसी के लिए संघर्ष कर रही हैं। साथ ही आम आदमी पार्टी व जनसत्ता दल जैसी पार्टियां उत्तर प्रदेश में अपनी पहचान बनाने के लिए लड़ रही हैं।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हर पार्टी विभिन्न दावों व वादों के साथ चुनावी मैदान में उतरी। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के क्या दावे व वादे रहे हैं, Koo Studio के खास प्रोग्राम चुनावी तर्क विर्तक के तीसरे एपिसोड में इसी मुद्दे पर चर्चा की गई। वरिष्ठ पत्रकार Arvind Kumar Singh व Jagran New Media के एग्जक्यूटिव एडिटर Pratyush Ranjan ने विभिन्न चुनावी दलों के दावों व वादों पर विस्तार से चर्चा किया।

किसी भी पार्टी का घोषणापत्र उसके विजन को दर्शाता है। इसलिए हर पार्टी के घोषणापत्र पर पूरे राज्य की जनता की नजर रहती है। हालांकि इस चुनाव में पार्टियों ने ऐसे वादे कर दिये जो पढ़कर ही लगता है कि वो पूरे नहीं कर पाएंगे। उत्तर प्रदेश में मुख्यतः चार पार्टियां या चार गठबंधन चुनाव लड़ रहे हैं। जिसमें पहली पार्टी है सत्ताधारी दल भाजपा, दूसरी पार्टी है सपा, तीसरी है कांग्रेस तो वहीं चौथी पार्टी है बसपा। विपक्षी दलों के लिए किसानों का मुद्दा सर्वोपरि रहा है। इसके अतिरिक्त विपक्षी दलों ने रोजगार व मंहगाई के मुद्दे को ऊपर उठाने का प्रयास किया है। इसलिए विपक्ष के घोषणापत्र में इन मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया गया है। तो वहीं सत्ता दल ने विकास के मुद्दे को उठाते हुए चुनाव लड़ने का प्रयास किया।

भारतीय जनता पार्टी मुख्यतः अपने विपक्षियों पर तीन मुद्दों पर हमला करती है। जिसमें पहला है परिवारवाद को लेकर समाजवादी पार्टी पर हमला, दूसरा वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर हमला व तीसरा जातिवाद को लेकर बसपा पर हमला। इन तीनों पार्टियों पर हमला करने के साथ भाजपा अपने विकासवाद के एजेंडे का भी प्रचार करती नजर आई है। अपने पिछले घोषणा पत्र में भाजपा ने दो प्रमुख वादे किये थे, जिसमें पहला था ट्रिपल तलाक व दूसरा था राममंदिर। जिसका भाजपा इस चुनाव में भरपूर इस्तेमाल करती नजर आई है।

इसके अतिरिक्त इस चुनाव में विभिन्न दलों ने विभिन्न वादे व दावे किये लेकिन उन वादों के पूरा होने में कितनी वास्तविकता है Koo Studio के इस खास प्रोग्राम में इस पर विस्तार से चर्चा किया गया। चुनाव प्रचार बंद होने के बाद विभिन्न पार्टियों के किए वादे व दावों को समझने पर एक्सपर्ट्स के विचार जानने के लिए आप भी देखें यह वीडियो-

साथ ही विभिन्न राज्यों की चुनावी हलचल का सटीक विश्लेषण देखने के लिए फॉलो करें @dainikjagran को Koo ऐप पर।


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