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जानिये क्‍या है अनुच्छेद 370 और जम्‍मू कश्‍मीर में इसके लागू होने, हटाए जाने के मायने

सोशल मीडिया से लेकर तमाम लोग जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। आइये जानते हैं अनुच्छेद 370 क्‍या है और इसके लागू होने हटाए जाने के क्‍या मायने हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 09:25 AM (IST)
जानिये क्‍या है अनुच्छेद 370 और जम्‍मू कश्‍मीर में इसके लागू होने, हटाए जाने के मायने
जानिये क्‍या है अनुच्छेद 370 और जम्‍मू कश्‍मीर में इसके लागू होने, हटाए जाने के मायने

नई दिल्ली (जेएनएन)। पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में गुस्‍से की लहर है। कश्‍मीर में तनाव कायम है और इस बीच धारा 370 फिर से चर्चाओं में है। सोशल मीडिया से लेकर तमाम लोग जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। आइये जानते हैं अनुच्छेद 370 क्‍या है और इसके लागू होने, हटाए जाने के क्‍या मायने हैं।

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- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक 'अस्‍थायी प्रबंध' के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है। भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत जम्मू और कश्मीर को यह अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है।

- भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।

- संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।

- जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था। शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था। तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए।

- उन्होंने राज्य के लिए कभी न टूटने वाली, 'लोहे की तरह स्वायत्ता' की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।इस धारा के मुताबिक रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है।

- राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। इसी धारा के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।

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