'सम्राट होते तो हर राज्य में उनकी हुकूमत...', पीएम मोदी पर मल्लिकार्जुन खरगे का तंज
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर 'सम्राट' की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में गैर-राजग दलों की सरकार है, इसलिए उन्हें सम्राट नहीं कहा जा सकता। खरगे ने सरदार पटेल और नेहरू के बीच अटूट विश्वास की बात भी कही, जब पटेल ने अपनी मृत्यु से पहले कांग्रेस का संदूक नेहरू को सौंपने के लिए कहा था।

मल्लिकार्जुन खरगे। (फाइल)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अहमदाबाद में सरदार पटेल के जयंती समारोह का केंद्र बिंदु अकेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के होने पर शुक्रवार को निशाना साधते हुए कहा कि वह अभी राजा ही हैं, सम्राट नहीं, क्योंकि कई राज्यों में अन्य दलों का शासन है। केंद्र की उनकी सरकार नीतीश कुमार तथा चंद्रबाबू नायडू की दो बैशाखियों पर टिकी है।
पीएम के कांग्रेस पर लगाए आरोपों का प्रेस कांफ्रेंस में जवाब देने के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह अजीब लगा कि पटेल जयंती समारोह में पीएम मोदी ब्रिटिश टोपी पहने एक राजा की तरह अकेले बैठे थे। उनके आसपास गृह मंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नहीं था।
सम्राट होते तो हर राज्य में उनकी हुकूमत होती- खरगे
इस पर साथ बैठे कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने टिप्पणी की कि पीएम सम्राट की तरह बैठे थे। तब खरगे ने तत्काल कहा वह सम्राट नहीं हैं, क्योंकि कई राज्यों में गैर राजग दल सत्ता में हैं। सम्राट होते तो हर राज्य में उनकी हुकूमत होती।
तमिलनाडु, केरल, बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना सहित कई राज्यों में उनकी सत्ता नहीं, तो सम्राट नहीं बन सकते। खरगे ने जयराम से रूबरू होते हुए कहा कि केंद्र में भी उनके पास बहुमत नहीं है और वह नायडू तथा नीतीश कुमार पर निर्भर हैं। इसलिए भूलकर भी उन्हें सम्राट न बोलें।
नेहरू-पटेल का कांग्रेस में अटूट विश्वास
मल्लिकार्जुन खरगे ने सरदार पटेल तथा पंडित नेहरू के बीच दरार होने के दावों को असत्य बताते हुए लौह पुरुष के निधन से पहले उठाए गए एक कदम का उल्लेख करते हुए कांग्रेस के प्रति उनके अटूट विश्वास का प्रतीक बताया। खरगे ने कहा कि गृह मंत्री होने के साथ-साथ सरदार पटेल कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी थे।
अपने देहांत से तीन दिन पहले उन्होंने अपनी बेटी मणिबेन को बुलकार एक संदूक देते हुए कहा कि यह संदूक कांग्रेस का है। इसलिए अगर वह जीवित न रहें तो इस संदूक को जवाहरलाल को सौंप देना।
खरगे ने कहा कि हमारे वल्लभभाई पटेल के इन शब्दों से साफ है कि उनका और नेहरू का अगर एक-दूसरे पर भरोसा नहीं होता तो ऐसी बात नहीं कहते। उन्होंने कहा कि मणिबेन ने पंडित नेहरू को जो संदूक सौंपा, उसमें 28 लाख रुपये नकद थे और उसी पैसे से कांग्रेस ने 1952 का चुनाव लड़ा।

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