वंदे मातरम को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा-संघ पर साधा निशाना, राष्ट्रगीत की उपेक्षा का लगाया आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा और आरएसएस पर 'वंदे मातरम' की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से इस गीत की ध्वजवाहक रही है, जिसने राष्ट्र को जगाया। खरगे ने दावा किया कि भाजपा-संघ ने कभी भी अपने कार्यालयों में 'वंदे मातरम' नहीं गाया, जबकि कांग्रेस ने हमेशा इसका सम्मान किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे कांग्रेस ने 1937 में इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उनकी पार्टी 'वंदे मातरम' की गर्वित ध्वजवाहक रही है, जिसने राष्ट्र की सामूहिक आत्मा को जागृत किया और स्वतंत्रता के लिए एक नारा बन गया, जबकि भाजपा और आरएसएस ने इस राष्ट्रीय गीत को उसकी सार्वभौमिक श्रद्धा के बावजूद इसकी उपेक्षा की है।
उन्होंने दावा किया कि स्वयं को राष्ट्रवाद के संरक्षक बताने वाले आरएसएस और भाजपा ने कभी भी अपनी शाखाओं या कार्यालयों में 'वंदे मातरम' या राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' नहीं गाया है।
भारत के राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने एक बयान में कहा कि 'वंदे मातरम', जिसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था, भारत माता की आत्मा को व्यक्त करता है और भारत की एकता और विविधता का जश्न मनाता है।
उन्होंने कहा, 'यह विडंबना है कि जो आज स्वयं को राष्ट्रवाद के संरक्षक बताते हैं-आरएसएस और भाजपा-ने 'वंदे मातरम' या 'जन गण मन' के बजाय अपनी शाखाओं या कार्यालयों में 'नमस्ते सदा वत्सले' ही गाया है। यह उनके संगठन के महिमा गाता है, न कि राष्ट्र की।
उन्होंने आरोप लगाया, ''संघ परिवार ने राष्ट्रीय आंदोलन में भारतीयों के खिलाफ ब्रिटिशों का समर्थन किया, 52 वर्षों तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं उठाया, भारतीय संविधान का अपमान किया, बापू और बाबासाहेब आंबेडकर के पुतलों को जलाया और सरदार पटेल के शब्दों में गांधी जी की हत्या में शामिल थे।''
उन्होंने कहा जबकि कांग्रेस 'वंदे मातरम' और 'जन गण मन' दोनों पर गर्व करती है। 1896 से लेकर आज तक 'वंदे मातरम' को हर कांग्रेस बैठक में गर्व और देशभक्ति के साथ गाया गया है, चाहे वह छोटी हो या बड़ी।
खरगे ने दावा किया कि 1937 में उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'वंदे मातरम' का पाठ शुरू किया जब पुरुषोत्तम दास टंडन अध्यक्ष थे। उसी वर्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने औपचारिक रूप से 'वंदे मातरम' को राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता दी, जो भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।