बुजुर्गो का ख्याल रखते हुए राष्ट्रीय वयोश्री योजना अब देश के सभी जिलों में होगी लागू
राष्ट्रीय वयोश्री योजना में पचास फीसद से ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी वाले गांवों को शामिल किया जाता है। जिसके विकास के लिए मंत्रालय वित्तीय मदद देती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुजुर्गो का ख्याल रखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय वयोश्री योजना को विस्तार देने का फैसला लिया है। अब यह देश के सभी जिलों में लागू होगी। अभी तक यह योजना देश के सिर्फ 325 जिलों में ही लागू है, लेकिन इसकी लोकप्रियता और मांग को देखते हुए इसे देश के सभी जिलों में लागू करने का फैसला लिया गया है। इस योजना के तहत बुजुर्गो को बैसाखी, चश्मा, सुनने की मशीन, छड़ी, कृत्रिम दांत और जबड़ा आदि प्रदान किया जाता है।
भाजपा के बड़े दलित चेहरे और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की दोबारा जिम्मेदारी संभालने के बाद यह जानकारी दी। मंत्रालय की सौ दिन की योजना पर चर्चा करते हुए गहलोत ने बताया कि वयोश्री योजना के साथ ही प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को भी विस्तार देने का फैसला लिया है।
इस योजना में पचास फीसद से ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी वाले गांवों को शामिल किया जाता है। जिसके विकास के लिए मंत्रालय वित्तीय मदद देती है। फिलहाल इनमें अब तक ढाई हजार गांवों को ही शामिल किया गया है, लेकिन नए लक्ष्य के तहत इसमें अब 3300 गांवों को शामिल किया जाएगा।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय वयोश्री योजना के लिए सरकार के पास पर्याप्त राशि मौजूद है। वैसे भी इस योजना का संचालन बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों की दावा रहित (अनक्लेम्ड) राशि से किया जाता है।
इस योजना की लोकप्रियता की स्थिति यह है कि सभी सांसद अपने क्षेत्र में इस योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा शिविर लगाने के लिए इच्छुक है। खासबात यह है कि बुजुर्गो को दिए जाने वाले इन उपकरणों की निर्माण मंत्रालय अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एलिम्को से ही कराता है।
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का बदलेगा फंडिग-शेयर पैटर्न
केंद्रीय मंत्री गहलोत ने इस बीच अनुसूचित जाति के लिए चलाई जा रही पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के फंडिग-शेयर पैटर्न में बदलाव की बात कही है। जिसमें राज्यों के वित्तीय बोझ को घटाया जाएगा। इसके तहत योजना पर खर्च होने वाला 75 फीसद हिस्सा केंद्र देगा, जबकि बाकी राज्य को देना होगा। हालांकि यह अभी सिर्फ प्रस्ताव है।
मौजूदा समय में इस योजना के तहत केंद्र की ओर से राज्यों को सिर्फ एक प्रतिबद्धता राशि (कमिटेड फंड) ही दी जाती है। जो योजना पर पिछले सालों में खर्च की गई राशि की औसत होता है। गहलोत ने बताया कि राज्यों के साथ इस पर चर्चा के बाद ही इसे अंतिम रुप दिया जाएगा।
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