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छह साल में आपदा के दंश से उबर गया केदारनाथ, दर्शन के लिए पहुंचे 6.32 लाख यात्री

केदारनाथ में यात्रियों की ब़़ढी संख्या तीर्थाटन और स्थानीय आर्थिकी के लिहाज से निश्चित रूप से अच्छा संकेत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 11:57 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 02:01 AM (IST)
छह साल में आपदा के दंश से उबर गया केदारनाथ, दर्शन के लिए पहुंचे 6.32 लाख यात्री
छह साल में आपदा के दंश से उबर गया केदारनाथ, दर्शन के लिए पहुंचे 6.32 लाख यात्री

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। उत्तराखंड के केदारनाथ में छह साल पहले 15 जून, 2013 को आई त्रासदी का दुख अब सिर्फ यादों में रह गया है। क्योंकि केदारपुरी की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। इसका पूरा श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने ही केदारपुरी का पुनर्निर्माण ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत शुरू कराया। यही कारण है कि आपदा के बाद शुरुआती दो साल में जरूर यात्रियों की संख्या कम हुई, लेकिन 2019 में यात्रा शुरू होने के बाद सिर्फ 36 दिन में ही यात्रियों की संख्या 6.32 लाख से अधिक पहुंच चुकी है।

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केदारपुरी में जिस तेजी से बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई, वह एक अनूठा उदाहरण है। आपदा में गौरीकुंड हाईवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था, लेकिन, अब इस हाईवे को ऑलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है। यही कारण है कि केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहली बार है, जब पूरी रात मंदिर दर्शन के लिए खुला हुआ है।

धाम में पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या

वर्ष       कुल यात्री

2019     6,32,576 (14 जून तक)

2018     7,32,390

2017     4,71,235

2016     3,49,123

2015     1,59,340

2014     39,500

पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुए कार्य

-मंदाकिनी नदी पर घाट और चबूतरे

-केदारनाथ मंदिर परिसर का चौ़डीकरण और मंदिर के ठीक सामने 200 मीटर लंबे रास्ते का निर्माण

-तीर्थ पुरोहितों के लिए 210 भवन

-धाम में 400 मीटर लंबा आस्था पथ

-केदारनाथ धाम से जु़डी गरुडचट्टी

-यात्रियों के रहने के लिए कॉटेज

अभी निर्माण होना बाकी

-आद्य शंकराचार्य की समाधि

-छूटे तीर्थ पुरोहितों के लिए घर

-गरुडचट्टी से भीमबली तक पैदल मार्ग

-केदारनाथ मंदिर के पीछे ब्रह्मवाटिका

जलप्रलय से नहीं लिया कोई सबक

त्रासदी के छह साल बाद भी सिस्टम की सुस्ती साफ झलक रही है। यात्रियों की भी़ड़ को रेगुलेट करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है। इसके साथ ही फोटोमीट्रिक पंजीकरण की व्यवस्था भी हिचकौले खा रही है। ऋषिकेश से रोटेशन में जा रहे यात्रियों का तो पंजीकरण हो रहा है, लेकिन इससे कहीं ज्यादा यात्री बगैर पंजीकरण के सीधे केदारनाथ पहुंच रहे हैं।

केदारनाथ में यात्रियों की ब़़ढी संख्या तीर्थाटन और स्थानीय आर्थिकी के लिहाज से निश्चित रूप से अच्छा संकेत है, लेकिन सवाल यह है कि आपदा से क्या वास्तव में हमने कोई सबक लिया। जरा याद कीजिए, केदारनाथ त्रासदी के बाद सरकार ने दावा किया था कि केदारनाथ में यात्रियों की संख्या नियंत्रित की जाएगी। इससे यात्रियों को भी दिक्कत नहीं होगी और वे आसानी से दर्शन भी कर सकेंगे।

आपात स्थिति से निपटने के लिए भी प्रभावी कदम भी उठाए जा सकेंगे, लेकिन यात्रियों की संख्या नियंत्रित नहीं हुई। ऐसे में सात हजार यात्रियों के ठहरने के इंतजाम के बावजूद रोजाना औसतन 25 हजार यात्री पहुंच रहे हैं। वहीं, फोटोमीट्रिक पंजीकरण की व्यवस्था भी दम तो़ड चुकी है।

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