सिद्दरमैया की कुर्सी फिलहाल सुरक्षित, DK शिवकुमार को क्यों करना होगा इंतजार? 10 प्वाइंट में समझिए
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान जारी है, जिससे कांग्रेस की अंदरूनी कलह उजागर हो रही है। सिद्दरमैया को अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिससे उन्हें पद से हटाना मुश्किल है। वहीं, डीके शिवकुमार लगातार दबाव बना रहे हैं।

सिद्दरमैया और शिवकुमार में कुर्सी को लेकर खींचतान (फोटो- पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी विवाद ने कांग्रेस के आंतिरक कलह को उजागर कर दिया है। 2023 में हुए चुनाव में जीत के बाद से सीएम पद को लेकर जारी विवाद ने तब नया मोड़ ले लिया, जब पार्टी सूत्रों ने बताया कि सिद्दरमैया की कुर्सी खतरे में नहीं है।
दरअसल, सिद्दरमैया के पास 37 विधायकों में से 100 से ज्यादा का समर्थन है, ऐसे में उनका सीएम पद छोड़ना मुश्किल है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सिद्दरमैया सीएम बने रहेंगे या डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। आइए कर्नाटक कांग्रेस के इस विवाद को विस्तार से समझते हैं।
- कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने एनडीटीव को बताया कि सिद्दरमैया की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। क्योंकि वे एक बड़े ओबीसी नेता हैं। सिद्दरमैया को अहिंदा समुदाय और पार्टी के 137 विधायकों में से 100 से ज्यादा का मजबूत समर्थन प्राप्त है। ऐसे में उनकी सहमति के बिना नेतृत्व परिवर्तन मुश्किल है।
- इधर डीके शिवकुमार और उनके खेमे का दबाव बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते दिल्ली में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को याचिका दी थी कि कैबिनेट फेरबदल में देरी का कारण बन रहा है। क्योंकि सिद्दरमैया चाहते हैं कि कैबिनेट में फेरबदल उनके सीएम बने रहने की मंशा का संकेत हो।
- कर्नाटक कांग्रेस के भीतर डीके शिवकुमार की दावेदारी आंतरिक समर्थन की कमी के कारण अस्थिर दिख रही है। क्योंकि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रभावशाली वोक्कालिगा जाति का समर्थन प्राप्त है। जिनके वोट ने 2023 के जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- वहीं, अब अगर मैसूर वोक्कालिगा एसोसिएशन द्वारा सिद्दरमैया को शांतिपूर्वक सीएम बनाए रखा जाता है तो यह इस समय डीके शिवकुमार के लिए उनकी महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में इसको लेकर विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
- कांग्रेस कर्नाटक में जारी विवाद के बीच कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी से कहा कि वे 8 दिसंबर को शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले इस विवाद को सुलझा दें। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मल्लिकार्जुन खरगे को यह एहसास हो गया है कि कांग्रेस को भाजपा द्वारा दो फाड़ कर दिया जाएगा। ऐसे में कांग्रेस उन राज्यों सत्ता खो सकती है, जहां आज उसकी पूर्ण सत्ता है।
- खरगे की चेतावनी से पहले कर्नाटक भाजपा के एक वरिष्ठ नेता सुनील कुमार ने आज सुबह कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना की पुष्टि की। उन्होंने कहा सिद्दरमैया मैसूर तक ही सीमित हैं और उपमुख्यमंत्री (डीकेएस) दिल्ली तक ही सीमित हैं। कर्नाटक सरकार इस स्थिति में मैंने आर अशोक (विपक्ष के नेता) और अन्य नेताओं से बात की और कहा कि हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए।
- इधर भाजपा लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है। बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने जनता का विश्वास खो दिया है। उन्होंने कहा, "हमें सच में नहीं पता कि हम कहाँ जा रहे हैं... लेकिन एक बात पक्की है। कांग्रेस, पूर्ण बहुमत होने के बावजूद... जो हम देख रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।"
- सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच चल रही हल्की-फुल्की तनातनी के बीच दोनों इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि ज्यादा कुछ न कहें या ऐसा कुछ न कहें जो उनके खिलाफ इस्तेमाल हो। लेकिन गुरुवार को शिवकुमार ने 'शब्द शक्ति' को 'विश्व शक्ति' बताया। जिसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने एक्स पर कहा "एक 'शब्द' तब तक शक्ति नहीं है जब तक कि वह लोगों के लिए 'दुनिया' को बेहतर न बनाए"।
- कांग्रेस पार्टी को सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच किसी एक को चुनना होगा, जब तक आपस में कोई उपयुक्त समझौता नहीं कर लेते। जिनमें से एक 'अंतरिम' मुख्यमंत्री हो सकता है।
- कुल मिलाकर सिद्दरमैया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे खुद पद नहीं छोड़ेंगे, जब कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके हाथ में है। इधर, डीके शिवकुमार उनके सीएम बनने के लिए एक स्पष्ट योजना चाहते हैं।
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