भोपाल(जेएनएन)। कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के बतौर मुख्यमंत्री गुरुवार को अपना एक माह पूरा कर लिया। इस एक माह के दौरान उनका अधिकांश समय राजनीतिक संतुलन साधने, सरकार पर स्थायित्व का ठप्पा लगवाने और वचन पत्र के प्रमुख वचनों पर अमल की शुरुआत करने में बीता।
राजनीतिक दृष्टि से सबसे बड़ा फैसला किसानों की कर्ज माफी का रहा, जिसकी बदौलत कांग्रेस सरकार में है। एक माह पूरा होने पर दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया के मध्य प्रदेश के उप राजनीतिक संपादक ऋषि पाण्डे ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश
बतौर मुख्यमंत्री शुरुआती एक माह में आपके अनुभव कैसे रहे?
जिस दिन मैंने पदभार संभाला, मैंने पाया कि पिछली सरकार की नीतियों के कारण हर वर्ग परेशान है। हमारी सरकार की तरफ वह आशा भरी निगाहों से देख रहा है। वह चाहता है बदलाव महसूस हो। हमने पिछले एक माह में ऐसी कोशिश की कि जनता बदलाव महसूस करे।
कांग्रेस 'वक्त है बदलाव का' टैगलाइन के साथ मैदान में उतरी थी, पर यह बदलाव नजर नहीं आ रहा है। कब तक दिखाई देगा?
यह गलत है कि बदलाव नजर नहीं आ रहा है। जनता से जाकर पूछिए। वह बदलाव महसूस कर रही है।
एक माह में ऐसा कौन सा एक काम या फैसला है, जिसे लेकर आपको संतोष का अनुभव हुआ हो?
यूं तो कई फैसले लिए, लेकिन सबसे ज्यादा संतोष किसानों की कर्ज माफी का फैसला लेकर हुआ, क्योंकि जब मैं किसानों को कर्ज के बोझ से आत्महत्या करते हुए देखता था तो बड़ी पीड़ा होती थी।
मीसाबंदी पेंशन को लेकर पहले आप पर राजनीतिक दुर्भावना के आरोप लगे और बाद में कहा गया कि आप दबाव में आ गए। यू-टर्न की भी बात कही गई। वास्तविकता क्या है?
दुर्भावना से कोई फैसला नहीं लिया। कैग की आपत्ति थी कि बजट में वित्तीय प्रावधान से ज्यादा व्यय हो रहा है। हमने इसे पारदर्शी बनाने के लिए मीसाबंदियों के भौतिक सत्यापन का निर्णय लिया। इसमें भला गलत क्या है। भाजपा दुष्प्रचार कर रही है।
पूर्ण बहुमत न होने की वजह से निर्दलीय और सहयोगी दल के विधायकों द्वारा जो दबाव बनाया जाता है, उससे आप कैसे निबटेंगे?
हम पर कोई दबाव नहीं है। सब भाजपा द्वारा प्रचारित है। हमने विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के निर्वाचन में इसका जवाब भी दे दिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं को लेकर कांग्रेस के वचन पत्र में जो वचन दिया गया है, उस पर अमल कब तक होगा?
हम अपने वचन पत्र के सभी बिंदुओं पर समयसीमा में एक-एक कर अमल करेंगे।
कहा जा रहा है कि सरकार कमलनाथ की है और सारथी दिग्विजय सिंह हैं। यह कहां तक सही है?
यह पूरी तरह से गलत है। यह भाजपा का दुष्प्रचार है। फूट डालने की राजनीति भर है।