डाटा प्रोटेक्शनः जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण समिति ने सौंपी रिपोर्ट, दिया कानून का मसौदा
जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि विभिन्न पक्षों से सभी संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत के बाद समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में डाटा प्रोटेक्शन का ढांचा तैयार कर रही जस्टिस बीएन कृष्णा समिति ने निजता को मौलिक अधिकार मानते हुए लोगों के किसी भी संवेदनशील डाटा के इस्तेमाल से पहले स्पष्ट सहमति को अनिवार्य बनाने की सिफारिश की है। समिति ने अपनी 213 पेज वाली इस रिपोर्ट के साथ डाटा प्रोटेक्शन कानून 2018 का मसौदा भी दिया है। समिति ने लोगों के संपूर्ण निजी डाटा को देश से बाहर ले जाने को सीमित बनाने की सिफारिश करते हुए कहा है कि सभी तरह के संवेदनशील या क्रिटिकल डाटा को देश के भीतर किसी सर्वर या डाटा सेंटर में रखना अनिवार्य होगा। नियमों का उल्लंघन होने पर समिति ने कानून के मसौदे में 15 करोड़ रुपये या डाटा एकत्र करने वाली कंपनी के वैश्विक टर्नओवर के चार फीसद तक जुर्माने का प्रावधान करने की सिफारिश भी की है।
समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में डाटा से संबंधित लगभग सभी पहलुओं को शामिल किया है। इनमें निजी डाटा देने के लिए लोगों की सहमति से लेकर डाटा पोर्टेबिलिटी उसके ट्रांसफर और नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने के प्रावधान भी शामिल है। जस्टिस श्रीकृष्णा समिति पिछले एक साल से इस पर काम कर रही थी। रिपोर्ट सौंपने के बाद जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि विभिन्न पक्षों से सभी संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत के बाद समिति ने यह रिपोर्ट तैयार की है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में दस तरह के संवेदनशील निजी डाटा की पहचान की है। इनमें जाति और जनजाति से संबंधित जानकारियां या डाटा भी शामिल है। इनके अलावा पासवर्ड, वित्तीय डाटा, स्वास्थ्य संबंधी डाटा, आधिकारिक पहचान पत्र, लोगों के सेक्स लाइफ से जुड़े डाटा, बायोमीट्रिक व जेनेटिक डाटा, ट्रांसजेंडर स्टेट्स और धर्म व राजनीतिक झुकाव से जुड़ा डाटा भी शामिल है। समिति ने ऐसे और भविष्य में इस श्रेणी में आने वाले सभी तरह के क्रिटिकल डाटा को कानून के दायरे में लाते हुए उसे भारत में ही रखने को सुनिश्चित किया है। जबकि नॉन क्रिटिकल निजी डाटा की एक कॉपी कंपनियों के लिए भारत में रखना अनिवार्य होगा। डाटा चोरी की किसी भी घटना की सूरत में कार्रवाई न करने पर कंपनी पर पांच करोड़ अथवा वैश्विक टर्नओवर के दो फीसद के बराबर जुर्माने की भी सिफारिश की है।
हालांकि समिति ने स्वास्थ्य संबंधी निजी डाटा को आपात स्थितियों में देश से बाहर भेजने का विकल्प खुला छोड़ा है। लेकिन ऐसा केवल सरकार की अनुमति पर ही हो सकेगा। हालांकि वित्तीय डाटा की निजता को लेकर रिजर्व बैंक दिशानिर्देश जारी कर चुका है। लेकिन जस्टिस श्रीकृष्णा का कहना है कि डाटा प्रोटेक्शन कानून बनने के बाद डाटा संबंधी सारे मामले इसके दायरे में आ जाएंगे। जस्टिस श्रीकृष्णा ने डाटा के स्वामित्व के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि डाटा को संपत्ति की रोशनी में समिति ने नहीं देखा है।
समिति ने देश में एक डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के गठन का भी सुझाव दिया है जो अंतत: डाटा की परिभाषा और उसकी विभिन्न श्रेणियों के लिए मानक तय करने का काम भी करेगा।
पहले आधार डाटा लीक और बाद में फेसबुक-कैंब्रिज एनालिटिका की तरफ से डाटा चोरी की खबरें आने के बाद देश में डाटा प्रोटेक्शन के कड़े कानून की जरूरत की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद कहा देश एक डिजिटल पावर के रूप में तब्दील हो रहा है और ऐसे वक्त में देश को एक सख्त डाटा प्रोटेक्शन कानून की आवश्यकता है। सरकार ने श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट को चर्चा के लिए शुक्रवार को ही सार्वजनिक कर दिया। इस पर प्रतिक्रिया आने के बाद अंतर मंत्रालयी स्तर पर इस पर विचार होगा। बाद में कानून के मसौदे को मंत्रिमंडल में ले जाया जाएगा जहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद में पेश किया जा सकेगा।
डाटा प्रोटेक्शन कानून के मसौदे में समिति ने किसी भी व्यक्ति के निजी डाटा को गलत तरीके से प्राप्त करने, उसे घोषित करने, किसी व्यक्ति को ट्रांसफर करने, किसी व्यक्ति को बेचने या बेचने का प्रस्ताव करने को कानून का उल्लंघन माना है। इस उल्लंघन पर 15 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान भी मसौदे में किया गया है। समिति ने डाटा चोरी के शिकार लोगों को नुकसान होने की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान रखने की भी सिफारिश की है।
जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण समिति ने सौंपी रिपोर्ट
-समिति ने दिया डाटा प्रोटेक्शन कानून का मसौदा
-संवेदनशील डाटा की श्रेणी अलग रखने की सिफारिश
-देश के भीतर सर्वर या डाटा सेंटर में रखना होगा क्रिटिकल या संवेदनशील डाटा
-नियमों के उल्लंघन पर 15 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान
- देश में डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी के गठन का सुझाव