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महबूबा मुफ्ती की अलगाववादियों को नसीहत, केंद्र की वार्ता की पेशकश का उठाएं लाभ; बार-बार नहीं मिलेंगे मौके

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री ने अलगाववादी नेताओं को दी नसीहत, कहा- केंद्र की वार्ता के प्रस्ताव का लाभ उठाएं। बार-बार नहीं मिलेंगे ऐसे मौके।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 10:07 AM (IST)
महबूबा मुफ्ती की अलगाववादियों को नसीहत, केंद्र की वार्ता की पेशकश का उठाएं लाभ; बार-बार नहीं मिलेंगे मौके
महबूबा मुफ्ती की अलगाववादियों को नसीहत, केंद्र की वार्ता की पेशकश का उठाएं लाभ; बार-बार नहीं मिलेंगे मौके

श्रीनगर (ब्यूरो)। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रियासत को खून-खराबे और तबाही से बचाने के लिए अलगाववादियों को बातचीत के लिए आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इकतरफा रमजान संघर्ष विराम और केंद्र की तरफ से वार्ता का एलान बार-बार नहीं होगा। इस मौके को गंवाया नहीं जाना चाहिए। वह रविवार को शेरे कश्मीर म्यूनिसिपल पार्क में सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।

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बीते छह माह में सत्ताधारी पीडीपी की यह कश्मीर में पहली बड़ी सभा थी। मुख्यमंत्री की भी श्रीनगर में बीते छह माह के दौरान यह पहली सार्वजनिक सियासी रैली थी। उन्होंने कहा कि रमजान संघर्ष विराम से खून खराबा रुका है। इसके साथ ही केंद्र की तरफ से बातचीत की इच्छा जताए जाने का कैसे लाभ लिया जाए, यह जम्मू कश्मीर के लोगों और स्थानीय सियासी नेतृत्व को ही तय करना है। उन्होंने हुर्रियत का नाम लिए बगैर कहा कि यहां मुख्यधारा के दायरे से बाहर कई राजनीतिक दल हैं। अगर उनका कोई अलग एजेंडा है और वे चाहते हैं कि राज्य में खून-खराबा बंद हो तो यह एक सही अवसर है।

मुख्यमंत्री ने अलगाववादी खेमे से कश्मीर के नौजवानों को बंदूक और हिंसा की संस्कृति से बाहर लाने में सहयोग का आग्रह किया। महबूबा ने कहा कि देश के गृहमंत्री कह रहे हैं कि वह कश्मीरियों को गले लगाने और उनसे बातचीत को तैयार हैं। अगर हमने यह मौका गंवा दिया तो फिर कल कोई भी हमारे साथ खड़ा नहीं होगा।

भारत-पाकिस्तान दोस्ती राज्य के हित में

मुख्यमंत्री ने भारत व पाकिस्तान के बीच दोस्ती व सामान्य संबंधों की बहाली को राज्य हित में बताया। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान में दुश्मनी का नुकसान सरहद के दोनों तरफ के लोगों को उठाना पड़ता है।


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