Jammu and Kashmir: मनोज सिन्हा की दो वर्ष की मेहनत से टूटा कश्मीर में सिनेमा का 32 सालों का सन्नाटा
पिछले साल पांच अगस्त को जारी जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म पालिसी से साफ हो गया था कि घाटी में सिनेमा का सन्नाटा टूटने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। नई फिल्म पालिसी के साथ ही पहली बार जम्मू-कश्मीर फिल्म डेवलेपमेंट कौंसिल का गठन किया गया जिसके प्रमुख खुद मनोज सिन्हा हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सिनेमा का 32 सालों का सन्नाटा तोड़ने में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की दो वर्षों की मेहनत सफल रही। इस दौरान सिन्हा ने श्रीनगर और दिल्ली से लेकर मुंबई तक न सिर्फ फिल्म निर्माताओं से मुलाकात की, बल्कि जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म पालिसी को एंटरटेनमेंट इडस्ट्री के दर्जे के साथ ही सरकार की ओर से कई तरह का प्रोत्साहन भी सुनिश्चित किया। इसमें कोई रुकावट न हो इसलिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर फिल्म डेवलेपमेंट कौंसिल को अपने अधीन रखा।
मनोज सिन्हा ने अपने हाथ में रखी कमान, खुद करते रहे मानिटरिंग
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पिछले साल पांच अगस्त को जारी जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म पालिसी से साफ हो गया था कि घाटी में सिनेमा का सन्नाटा टूटने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। नई फिल्म पालिसी के साथ ही पहली बार जम्मू-कश्मीर फिल्म डेवलेपमेंट कौंसिल का गठन किया गया, जिसके प्रमुख खुद मनोज सिन्हा हैं और उनके सचिवालय के अधिकारी इसका कामकाज देखते हैं।
फिल्म को इंडस्ट्री का दर्जा दिये जाने से सिनेमा हाल बनाने वालों के लिए बैंकों से लोन मिलना आसान हो गया। सिनेमा हाल खोलने के लिए कैपिटल इंवेस्टमेंट में 30 फीसद की सब्सिडी का प्रावधान किया गया। इस सब्सिडी की ऊपरी सीमा पांच करोड़ तक रखी गई। इसके साथ ही कैपिटल इंवेस्टमेंट के लिए बैंकों के लिये जाने वाले लोन के ब्याज में छह फीसद की वापसी की भी गारंटी दी।
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पिछले साल लागू की थी नई फिल्म पालिसी
यही नहीं, इसके तहत सिनेमा हाल के टिकटों की बिक्री पर लगने वाले करों में 300 फीसदी तक की वापसी भी सुनिश्चित की गई। जम्मू-कश्मीर की नई फिल्म पालिसी का प्रभाव सिर्फ 32 सालों बाद सिनेमा हाल खुलने तक सीमित नहीं है। पिछले एक साल से बड़ी संख्या में घाटी में फिल्मों, डाक्यूमेंट्री और गानों की शूटिंग चल रही है। इस समय भी घाटी में मेघना गुलजार से लेकर फरहान अख्तर और इमरान हाशमी समेत आधा दर्जन से अधिक फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता अपनी-अपनी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हैं।
युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश
पिछले एक साल में 160 से अधिक फिल्मों, डाक्यूमेंट्री और गानों की शूटिंग की इजाजत दी गई है और कई दर्जन प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घाटी में सिनेमा की फिर से शुरुआत एक नया आगाज है, जो जिहादी कल्चर को ध्वस्त करने में मददगार साबित होगी। उनके अनुसार मनोरंजन और आजादी पर लगाम लगने से घाटी के युवाओं का रुख आतंक और ड्रग की तरफ हो गया था। खेलकूद, मनोरंजन से लेकर अन्य गतिविधियों के सहारे अब युवाओं को मुख्य धारा में लाया जा रहा है।
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