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Jammu and Kashmir: हिरासत में रखे गए नेताओं को लेकर यह है केंद्र सरकार का प्‍लान

Jammu and Kashmir में हालात धीरे-धीरे सामान्‍य हो रहे हैं। इस बीच राज्‍य की सियासी चेहरों के लिए एक राहत भरी खबर यह है हिरासत में रखे नेताओं को लेकर सरकार एक योजना पर काम कर रही है

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 07:57 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 08:37 AM (IST)
Jammu and Kashmir: हिरासत में रखे गए नेताओं को लेकर यह है केंद्र सरकार का प्‍लान
Jammu and Kashmir: हिरासत में रखे गए नेताओं को लेकर यह है केंद्र सरकार का प्‍लान

नई दिल्‍ली, एजेंसी/ब्‍यूरो। Jammu and Kashmir में हालात धीरे-धीरे सामान्‍य हो रहे हैं। पाबंदियों में राहत के बीच स्‍कूल खुलने शुरू हो गए हैं। कल श्रीनगर के 111 थाना क्षेत्रों में से 96 में निषेधाज्ञा नहीं थी। रोजमर्रा के साजो सामान के अलावा कुछ अन्‍य दुकानें खुली रहीं। इस बीच राज्‍य की सियासी चेहरों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो सरकार हिरासत में रखे गए नेताओं को धीरे-धीरे रिहा करने की योजना बना रही है। इन नेताओं की रिहाई स्थानीय प्रशासन के मूल्यांकन के आधार चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।

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सूत्र ने बताया कि जैसे जैसे राज्‍य में स्थितियां बेहतर होती जाएंगी स्‍थानीय प्रशासन नेताओं की रिहाई पर काम करना शुरू कर देगा। हिरासत में लिए गए नेताओं से केंद्र के नुमाइंदों से तो कोई बातचीत अभी नहीं हुई है लेकिन स्थानीय प्रशासन के अधिकारी उनसे बात कर सकते हैं। सूत्र की मानें तो श्रीनगर प्रशासन से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जमीनी हालात के आधार पर अगले दो हफ्तों में नेताओं की रिहाई संभव है। 

हालांकि, इंटरनेट की बहाली में थोड़ा और वक्‍त लग सकता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पाकिस्‍तानी तत्‍व प्रोपेगेंडा फैलाने और लोगों को उकसाने में इसका इस्‍तेमाल करते रहे हैं। इस बीच सरकार ने अपने मंत्रालयों को निर्देश दिया है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के ल‍िए वे अपने स्‍तर पर जो पहल कर सकते हैं, उसके लिए काम करना शुरू कर दें। इसे लेकर तमाम मंत्रालयों की टीमें जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख का दौरा कर रही हैं।  

इस बीच, जम्‍मू-कश्‍मीर में सभी सरकारी कार्यालय खुलने शुरू हो गए हैं और कर्मचारियों की स्थिति सामान्‍य है। सूत्रों की मानें तो बदली परिस्थितियों में स्थानीय नेताओं के पैंतरों को आवाम भी समझने लगी है। नेता पहले वह अलगाववाद को हवा देने वाले ऑटोनामी आजादी जैसे मुद्दों पर सियासत करते थे। अब वे अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर सियासत कर रहे हैं लेकिन आम कश्मीरी उनके पीछे चलने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं।


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