जम्मू कश्मीर और लद्दाख बनेंगे केंद्र शासित प्रदेश, जानिए अब क्या बदला जाएगा ?
केंद्र सरकार ने आज ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग करने का फैसला लिया है। इसके बाद यह दोनों केंद्र शासित राज्य बन जाएंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खंड(1) और साथ ही 35ए को हटाने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा छिन जाएगा। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग किया जाएगा और इन दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बनाया जाएगा। देश में फिलहाल 7 केंद्र शासित प्रदेश है। इसमें नई दिल्ली, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के शामिल होने के बाद देश में 9 केंद्र शासित राज्य हो जाएंगे।
भारतीय संविधान में प्रारूप के अनुसार भारत को राज्यों का संघ कहा जाता है। वर्तमान में भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। राज्य का शासन उस राज्य की जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री के द्वारा किया जाता है जबकि केंद्र शासित प्रदेश का शासन उस राज्य में केंद्र द्वारा नियुक्त प्रशासक/ उपराज्यपाल के द्वारा किया जाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप, दिल्ली और पुडुचेरी का शासन उपराज्यपाल(डिप्टी गवर्नर) द्वारा किया जाता है जबकि अन्य चार केंद्र शासित प्रदेशों(लक्षद्वीप, दमन व दीव, दादरा व नगर हवेली, चंडीगढ़) का शासन प्रशासकों द्वारा किया जाता है।
क्या होता है केंद्र शासित राज्य ?
भारत में केंद्र शासित प्रदेश का मतलब उन प्रदेशों से है, जिनको कुछ विशेष परिस्थितियों की वजह से अन्य राज्यों में ना मिलाकर सीधा केंद्र सरकार द्वारा चलाया जाता है। वर्तमान में देश के अंदर 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इनको अलग-अलग कारणों से यह दर्जा दिया गया है।
क्यों बनाना पड़ता है केंद्र शासित प्रदेश ?
भारत में केंद्र शासित प्रदेश क्यों बनाये गए हैं इसका कोई स्पष्ट एक कारण नही है बल्कि इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जैसे छोटा आकार और कम जनसंख्या, अलग संस्कृति, अन्य राज्यों से दूरी, प्रशासनिक महत्व, स्थानीय संस्कृतियों की सुरक्षा करना, शासन के मामलों से संबंधित राजनीतिक उथल-पुथल को दूर करना और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति आदि। आइये अब इन सभी कारणों की विस्तार में चर्चा करते हैं।
राजनैतिक कारणों से बने केंद्रशासित प्रदेश
नई दिल्ली को किसी राज्य से अलग उसी प्रकार रखा गया है जैसे अमेरिका में राजधानी वाशिंगटन डीसी को रखा गया है। 1956 से 1991 तक नई दिल्ली भी केंद्र शासित प्रदेश ही था लेकिन 1991 में 69वे संविधान संशोधन से राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (NCT) का दर्जा प्राप्त हुआ है और इसे भी पुड्डुचेरी की तरह स्वयं के मंत्रिमंडल व मुख्यमंत्री की व्यवस्था मिली है, यहाँ भी उपराज्यपाल(एलजी) की नियुक्ति होती है जो केंद्र सरकार करती है। कुल मिलाकर उपराज्यपाल(एलजी) और मंत्रिमंडल के सामंजस्य से यह चलता है।
नई दिल्ली की तरह चंडीगढ़ की भी स्थिति है। यह 1966 तक पंजाब की राजधानी था लेकिन 1966 में हरियाणा का गठन होने के बाद, पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। ऐसे में चंडीगढ़ को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाकर दोनों राज्यों की राजधानी बना दिया गया।
भौगोलिक दूरी के कारण बने केंद्रशासित प्रदेश
सबसे पहले बात करेंगें भौगोलिक दूरी के कारण बने केंद्र शासित प्रदेशों की तो इसमें अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह व लक्षद्वीप दो केंद्रशासित प्रदेश आते हैं। भारत की मुख्य प्रायद्वीपीय सतह से दूर होने के कारण इन्हें किसी प्रदेश द्वारा संचालित करना काफी मुश्किल काम है और क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा होने का कारण इसे एक राज्य भी नहीं बनाया जा सकता। यही कुछ कारण हैं, जिससे इन्हें केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है।
सांस्कृतिक विविधताओं की वजह से बने केंद्रशासित प्रदेश
सांस्कृतिक विविधताओं की वजह से बने केंद्र शासित प्रदेशों में दमन व दीव और दादर व नगर हवेली और पुडुचेरी शामिल हैं। दरअसल इन तीनों जगहों पर लंबे समय तक यूरोपीय देशों पुर्तगाल और फ्रांस का राज रहा था इसलिए यहाँ की संस्कृति उनसे मेल खाती है और इसलिए इनकी सांस्कृतिक विविधता बनाए रखने के लिए इन्हें किसी राज्य के साथ ना मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
- अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह
- चण्डीगढ़
- दादरा और नगर हवेली
- दमन और दीव
- लक्षद्वीप
- पुदुच्चेरी
1972 में असम राज्य से अलग कर अरुणाचल प्रदेश व मिज़ोरम को भी केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था लेकिन 1986 में उन्हें राज्य का दर्जा मिल गया था।
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