पहले ही तय था आनंदीबेन का राज्यपाल बनना, नियुक्ति के हैं कई राजनीतिक मायने
यह फैसला पहले ही ले लिया गया था की आनंदीबेन को राज्यपाल बनाया जाएगा। चुनाव के कारण इस फैसले को टाल दिया गया था।
भोपाल, ऋषि पाण्डे (नईदुनिया)। आनंदीबेन पटेल को राज्यपाल बनाने का फैसला काफी पहले हो गया था, लेकिन गुजरात चुनाव के कारण इस पर अमल नहीं किया गया। गुजरात में पटेल आंदोलन के कारण भाजपा को आनंदीबेन जैसे बड़े पाटीदार नेता की वहां जरूरत थी, जिसके चलते उन्हें चुनाव तक वहीं रहने दिया गया।
भाजपा नेतृत्व गुजरात के पाटीदार समाज तक यह संदेश पहुंचा चुका था कि आनंदी बेन का पुनर्वास राज्यपाल के तौर पर होगा। यही वजह है कि खुद आनंदी बेन ने चुनाव न लड़ने का एलान किया था। उनको राज्यपाल बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो गुजरात के पटेल समुदाय को यह भरोसा दिलाना कि पार्टी आनंदी बेन और समुदाय के साथ अन्याय नहीं कर रही है और दूसरा दस माह बाद मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में पटेल आंदोलन को इस नियुक्ति के जरिए मजबूत होने से रोकना।
हालांकि राज्यपाल की नियुक्ति चुनावी संभावनाओं पर सीधे तौर पर असर नहीं डालती, लेकिन संदेश देने का काम जरूर कर सकती है। मध्यप्रदेश में आनंदीबेन भाजपा की तीसरी राज्यपाल होगी। इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भाई महावीर और रामप्रकाश अग्रवाल राज्यपाल रह चुके हैं। वे सरला ग्रेवाल के बाद प्रदेश के राजभवन में दूसरी महिला राज्यपाल होंगी।
वर्ष 1988 में भाजपा में शामिल हुईं
राजनीतिक जीवन वर्ष 1988 में आनंदीबेन भाजपा में शामिल हुई। पहली बार उन्होंने अकाल पी़ड़ितों के न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। 1994 में उन्होंने चीन में चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन में भारत का नेतृत्व किया था। गुजरात में वर्ष 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की उस कठिन दौर में वह नरेंद्र मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया। इसी समय मोदी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ीं।
वर्ष 2014 में गुजरात की सीएम बनी
1998 में गुजरात कैबिनेट में आने पर उन्होंने शिक्षा और महिला व बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। निडर व दृ़ढ़ इरादों वाली 1998 से गुजरात की विधायक रही हैं। वह निडर और दृ़ढ़ इरादों वाली महिला हैं। मोदी की मुख्यमंत्री काल में वे विभिन्न विभागों की कैबिनेट मंत्री रहीं। वर्ष-2014 के शीर्ष 100 प्रभावशाली भारतीयों में सूचीबद्ध रहीं। वे 22 मई 2014 से 7 अगस्त 2016 तक मुख्यमंत्री के पद पर रही। वह गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। हाल ही के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय जब आनंदी बेन ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था तभी से उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा चल रही थी।
फेसबुक के जरिए दिया था सीएम पद से इस्तीफा
आनंदीबेन पटेल ने फेसबुक के जरिए मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि अब आने वाली पीढ़ी को काम करने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने आलाकमान से खुद को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों से मुक्त करने की इच्छा जताई थी। आनंदीबेन ने आलाकमान से यह गुजारिश फेसबुक पोस्ट के जरिए की थी।
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