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PAK में हो रहा भारतीय राजदूतों का शोषण, बिजली और गैस के कनेक्शन का भी टोटा

पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को शोषण का सामना करना पड़ रहा है।उनको नए गैस कनेक्शन नहीं मिल रहे। भारत ने पाक विदेश मंत्रालय के सामने उठाया मामला।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 10:20 AM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 11:59 AM (IST)
PAK में हो रहा भारतीय राजदूतों का शोषण, बिजली और गैस के कनेक्शन का भी टोटा
PAK में हो रहा भारतीय राजदूतों का शोषण, बिजली और गैस के कनेक्शन का भी टोटा

नई दिल्ली, एएनआइ। पाकिस्तान का एक बार फिर से दोहरा चरित्र सामने आया है। किस तरह से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भारतीयों के साथ व्यवहार होता है, इसका जीता-जागता उदाहरण एक दिन पहले स्वदेश लौटे हामिद निहाल अंसारी हैं। कुलभूषण जाधव, सरबजीत जैसे कई और उदाहण भी हमारे सामने हैं और अब यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को शोषण का सामना करना पड़ रहा है।

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इस तरह शोषण का शिकार हो रहे भारतीय राजनयिक

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों का शोषण हो रहा है, उनको नए गैस कनेक्शन नहीं मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, राजनयिकों के यहां आने वाले मेहमानों का भी शोषण होता है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि दिसंबर में ही एक अधिकारी के घर में किसी अज्ञात व्यक्ति के गलत तरीके से घुसने की घटना भी सामने आई थी।

हरकत में आया विदेश मंत्रालय

इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय तुरंत हरकत में आया है। भारत ने इस मामले को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के सामने उठाया है।

पहले भी शोषणा के मामले सामने आए
गौरतलब है कि भारतीय राजनयिकों के शोषण की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी भारतीय राजनयिक ने इस तरह के मामले रिपोर्ट किए हैं। इस साल मार्च में भारत ने पाकिस्तानी अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाया भी था और अपना विरोध दर्ज कराया था। उस दौरान कुछ आपराधिक तत्वों की ओर से भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों का पीछा करने की बात सामने आई थी।

भारत ने याद दिलाए थे वियना समझौते के नियम
इसी साल 15 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर कहा था कि हम चाहते हैं इस्लामाबाद में मौजूद भारतीय हाई कमीशन अच्छे से काम करे। हमारे राजनयिकों को वहां प्रताड़ित न किया जाए और वियना सम्मेलन 1961 के तहत तय किए गए प्रावधानों का पालन नहीं किया जाए, ताकि भारतीय राजनयिक पाकिस्तान में काम कर सकें।


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