भारत-पाक सीजफायर पर कांग्रेस ने पीएम मोदी से मांगा जवाब; पूछा- US मंत्री ने कोर्ट में दावा क्यों किया?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता को लेकर कांग्रेस ने सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक के दावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुप्पी तोड़ने की मांग की है। लुटनिक ने यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रेड टैरिफ का इस्तेमाल कर भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिकी मध्यस्थता को लेकर उठाए जा रहे सवाल की सियासत फिलहाल थमती नजर नहीं आ रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अब अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक (Howard Lutnick) से यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ट्रेड टैरिफ का औजार के रूप में इस्तेमाल करने के दावों पर सरकार से जवाब मांगा है।
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री के दावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुप्पी तोड़ने की मांग की।
जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा...
प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि क्या यह सच है, अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने 23 मई 2025 को न्यूयॉर्क स्थित यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में एक बयान दायर कर कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक 'कमजोर युद्धविराम' कराने और 'नाजुक शांति' स्थापित करने के लिए अपने टैरिफ अधिकारों का इस्तेमाल किया था?
हावर्ड लुटनिक वही बात दोहरा रहे हैं, जो खुद राष्ट्रपति ट्रंप 11 दिनों में ती अलग-अलग देशों में आठ बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इसी तरह का बयान देते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए एक 'न्यूट्रल साइट' का जिक्र किया है। प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो!
पवन खेड़ा ने भी पूछा सवाल
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने एक दूसरे पोस्ट में अमेरिकी प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों की ओर से दिए गए बयान का हवाला देते हुए पूछा,
क्या पीएम इस पर अपना मुंह खोलेंगे? उनके अनुसार लुटनिक ने कहा है कि यह युद्धविराम तभी संभव हो पाया, जब राष्ट्रपति ट्रंप ने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टालने के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करने की अनुमति दी।
इस मामले में राष्ट्रपति की शक्ति को सीमित करने वाला प्रतिकूल निर्णय भारत और पाकिस्तान को ट्रंप की पेशकश की वैधता पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है।
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