Assembly Results: राज्यों के चुनाव में बढ़ा भाजपा का वोट प्रतिशत लोकसभा चुनाव में विपक्ष की बढ़ाएगा सिरदर्दी
मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विपक्ष के सामने वोट प्रतिशत में अंतर की जो बड़ी लकीर खींच दी है उसे छह महीने के अंदर पाटना आईएनडीआईए के लिए आसान नहीं होगा। तेलंगाना में जरूर भाजपा जीत से बहुत दूर रह गई हो मगर उसके वोट प्रतिशत में इजाफे ने अगले आम चुनाव के लिए पिछली बार के मुकाबले सीटों की संख्या बढ़ाने का बंदोबस्त कर लिया है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को जिस तरह से आम चुनावों (Lok Sabha Elections) से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था, उससे फिलहाल तो यही संकेत हैं कि विपक्षी दलों के मुकाबले भाजपा ने अपनी जमीन काफी मजबूत कर ली है। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने विपक्ष के सामने वोट प्रतिशत में अंतर की जो बड़ी लकीर खींच दी है उसे छह महीने के अंदर पाटना आईएनडीआईए के लिए आसान नहीं होगा।
तेलंगाना में जरूर भाजपा जीत से बहुत दूर रह गई हो, मगर उसके वोट प्रतिशत में इजाफे ने अगले आम चुनाव के लिए पिछली बार के मुकाबले सीटों की संख्या बढ़ाने का बंदोबस्त कर लिया है। वैसे भी जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए है, उनकी कुल 84 लोकसभा सीटों में से मौजूदा समय में भाजपा के कब्जे में लगभग 66 सीटें है। इनमें राजस्थान की लोकसभा की सभी 25 सीटें भाजपा के पास है। वहीं, मध्य प्रदेश की लोकसभा की कुल 29 सीटों में 28 सीटें पर भी उसका कब्जा है। यहां सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है।
CG में कांग्रेस के पास महज दो लोकसभा सीट
इसी तरह छत्तीसगढ़ की लोकसभा की कुल 11 सीटों में नौ सीटों पर भाजपा अभी काबिज है। बाकी की दो सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में देखा जाए तो इन तीनों ही राज्यों में आम चुनावों में भाजपा के पास सीटों में बढ़ोत्तरी की बहुत गुंजाइश नहीं है। उनके सामने तो सिर्फ इन सीटों को बचाने की ही चुनौती थी। फिलहाल विधानसभा में मिली जीत के जरिए वह यह बताने में सफल रही है कि उनके अपनी जमीन नहीं खोई है, बल्कि अब तो पहले से ज्यादा ताकत के साथ वह खड़ी है।
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भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट अंतर कितना?
वहीं, इन तीनों ही राज्यों में उसके सामने सीधे मुकाबले में खड़ी कांग्रेस नतीजों में पूरी तरह से पस्त है। मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच आठ प्रतिशत का वोट अंतर है। छत्तीसगढ में लगभग चार फीसद तो राजस्थान में दोनों पार्टियों के बीच दो प्रतिशत मतों का अंतर है। लोकसभा चुनाव में पूरे देश में पीएम मोदी भाजपा का चेहरा होंगे तो पार्टी मत प्रतिशत में अंतर के इस फासले को और बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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आम चुनावों को लेकर तेलंगाना भी अब भाजपा की उम्मीद का नया ठौर बनेगा जहां पार्टी ने विधानसभा में 14 फीसद वोट के साथ सात सीटें जीती है और अभी से माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस तथा भाजपा के बीच मुख्य लड़ाई होगी। बीआरएस सत्ता से बाहर होने के बाद राष्ट्रीय लड़ाई में शायद वैसी प्रासंगिक नहीं रह पाएजी जैसी विधानसभा में थी। तेलंगाना से लोकसभा की 17 सीटों में इस समय भाजपा के पास चार, बीआरएस के पास नौ, तीन कांग्रेस और एक ओवैसी के पास है।
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