गुवाहाटी में IIM स्थापना का विधेयक राज्यसभा में पेश, विपक्ष पर बरसे धर्मेंद्र प्रधान
राज्यसभा में सरकार ने आईआईएम संशोधन विधेयक 2025 पेश किया जिसका उद्देश्य गुवाहाटी में भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) की स्थापना करना है। विपक्ष के हंगामे के बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस पर पूर्वोत्तर विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में 9 नए आईआईएम खुले जबकि कांग्रेस के शासन में असम के लिए सबसे बुरे दिन थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: असम के गुवाहाटी में भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) की स्थापना के लिए राज्यसभा में सरकार ने आइआइएम संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया और विपक्ष उसी एसआइआर पर हंगामा-नारेबाजी करने में जुटा था।
असम से आने वाले पीठासीन उपसभापति भुबनेश्वर कालिता ने समझाने का प्रयास किया कि यह पूर्वोत्तर के लिए बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है, चर्चा में भाग लें। मगर, विपक्ष बेफिक्र था। फिर क्या, मिल गया सत्ता पक्ष को मौका।
2004-2014 असम के लिए सबसे बुरा दौर- प्रधान
विपक्षी सदस्य तो सदन से वाकआउट कर गए, लेकिन इसके बहाने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस को पूर्वोत्तर विरोधी साबित करने का भरसक प्रयास किया।उन्होंने कहा कि असम के लिए सबसे बुरे दिन वर्ष 2004 से 2014 तक ही रहे।
मोदी सरकार के 11 साल में खुले 9 IIM- प्रधान
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 53 वर्ष में देश में कुल 13 आइआइएम खुले थे, जबकि मोदी सरकार के 11 साल में नौ नए आइआइएम स्थापित हो गए। आइआइएम को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देने के साथ ही प्रधान ने विपक्ष को आड़े हाथों ले लिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में डा. मनमोहन सिंह ने दस वर्ष तक असम का ही प्रतिनिधित्व राज्यसभा में किया, फिर भी वर्ष 2004 से 2014 के दिन असम के लिए सबसे बुरे रहे, क्योंकि पीएम तो मनमोहन सिंह थे, लेकिन निर्णय दूसरों के हाथ में थे।
असम की आकांक्षाओं को पीएम मोदी ने पूरा किया
उन्होंने पूर्वोत्तर के लिए मोदी सरकार की योजनाओं-प्रयासों को गिनाते हुए कहा कि असम की आकांक्षाओं को पीएम मोदी ने ही पूरा किया।
अपने लोगों को कुलपति बनवाने के लिए राज्यपाल से लड़ रहा DMK: थंबीदुरई
विधेयक का समर्थन करने के साथ ही एआइएडीएमके सदस्य डा. एम. थंबीदुरई ने भारतीय प्रबंध संस्थानों में छात्रों द्वारा की जा रही आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता जताई। साथ ही दावा किया कि तमिलनाडु में अन्ना विश्वविद्यालय सहित आठ-नौ विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं हैं। आरोप लगाया कि ऐसा तकनीकी और राजनीतिक विवाद के कारण हो रहा है। डीएमके अपने लोगों को कुलपति बनवाना चाहता है, इसलिए राज्यपाल से लड़ रही है। यह भी आरोप लगाया कि अन्ना विवि में एक छात्रा के उत्पीड़न के आरोपित पर कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि वह डीएमके से जुड़ा है। केंद्र सरकार को इन मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए।
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