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    नागरिकता बिल का समर्थन करते हुए शिवसेना ने कहा- 25 साल बाद मिले मतदान का अधिकार

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Mon, 09 Dec 2019 11:17 PM (IST)

    कोर्ट को 1990 में कश्मीर में हिंदुओं पर हुए अत्याचार पर भी विचार करना चाहिए जिसमें बहुत से हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए।

    नागरिकता बिल का समर्थन करते हुए शिवसेना ने कहा- 25 साल बाद मिले मतदान का अधिकार

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने नागरिकता बिल का जहां जमकर विरोध किया वहीं एनडीए के घटक और समर्थक दलों ने इसका समर्थन करते हुए विपक्ष की आशंकाओं को खारिज कर दिया। दिलचस्प यह भी रहा कि अभी-अभी विपक्षी खेमे में गई शिवसेना ने नागरिकता बिल का शर्तो के साथ समर्थन किया। लोकसभा में विधेयक पर बहस में हिस्सा लेते हुए शिवसेना नेता विनायक राउत ने कहा कि तीन देशों के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता जरूर दी जाए मगर इसके कानूनी प्रावधान भी स्पष्ट किए जाएं।

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    25 साल बाद मिले मतदान का अधिकार- शिवसेना

    उन्होंने कहा कि इन लोगों को किन प्रदेशों में बसाया जाएगा इसकी भी जानकारी दी जानी चाहिए। राउत ने यह भी कहा कि नागरिकता बिल की प्रक्रिया के तहत जिनलोगों को नागरिकता दी जाती है उन्हें 25 साल तक मतदान का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने श्रीलंका से आए शरणार्थियों को भी नागरिकता देने की मांग उठाई।

    शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर घिरना नहीं चाहती थी

    शिवसेना का रुख इसलिए अहम था क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद से ही विपक्ष की ओर से उस पर दबाव था। लेकिन इस मुद्दे का विरोध कर शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर घिरना नहीं चाहती थी। एक साल पहले जब यह विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था तो शिवसेना ने पूरी तरह इसका समर्थन किया था।

    धर्मनिरपेक्षता की गलत तरीके से व्याख्या- जदयू

    पिछली बार जदयू की ओर से इसका विरोध हुआ था, लेकिन इस बार जदयू नेता राजीव रंजन सिंह लल्लन ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की विपक्षी दल गलत तरीके से व्याख्या कर रहे हैं। इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यक लोगों जो हमारे ही अपने हैं उन्हें नागरिकता मिलेगी। इसका देश के मुसलमानों के किसी भी सरोकार या अधिकार से कोई लेना-देना नहीं है।

    विपक्ष बेवजह मुसलमानों को आशंकित कर रहा- लोजपा

    लोजपा के चिराग पासवान ने भी लगभग यही बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव का मुद्दा उठा विपक्ष बेवजह मुसलमानों को आशंकित कर रहा है और विधेयक किसी भी तरह संविधान के खिलाफ नहीं है।

    वाइएसआर कांग्रेस ने किया बिल का समर्थन

    वाइएसआर कांग्रेस के मिथुन रेड्डी ने भी बिल का समर्थन किया हालांकि उन्होंनें इसको लेकर अपनी कुछ चिंताएं जताई और कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि सरकार इसका समाधान निकालेगी।

     विभाजन का दंश सबसे ज्यादा पंजाब के लोगों और सिख समुदाय ने झेला- अकाली दल

    अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल ने बिल का पूरजोर समर्थन करते हुए कहा कि विभाजन का दंश सबसे ज्यादा पंजाब के लोगों और सिख समुदाय ने झेला है।

    बीजद ने की श्रीलंका से आने वाले अल्पंसख्यकों को नागरिकता दिए जाने की मांग

    बीजद ने भी इसका समर्थन किया है हालांकि उनकी ओर से भी श्रीलंका से आने वाले अल्पंसख्यकों को नागरिकता दिए जाने की मांग की।