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    Haryana Elections: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव का प्लान, कांग्रेस और AAP गठबंधन से नहीं पड़ेगा फर्क!

    Updated: Sun, 08 Sep 2024 08:37 PM (IST)

    हरियाणा में गठबंधन को लेकर सपा के ठंडे रुख के बीच अखिलेश यादव ने अपनी ओर से बयान दे दिया है कि भाजपा को हराने के लिए वह हर बलिदान के लिए तैयार हैं। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि पार्टी चाहती है कि वह दूसरे राज्यों में विस्तार करते हुए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करे लेकिन अखिलेश का ध्यान उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने पर है।

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    हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव का प्लान, कांग्रेस और AAP गठबंधन से नहीं पड़ेगा फर्क!

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कांग्रेस से मिले अपमान का जो कड़वा घूंट पीया, वह लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए खास तौर पर स्वास्थ्यवर्धक रहा और वह 37 सीटें जीत गई। छह सीटों के साथ कांग्रेस को भी संजीवनी मिली। आगे बढ़ने के लिए उसे अभी और सहारे की आवश्यकता है, लेकिन गठबंधन बनाए रखने की अधिक लालसा अब समाजवादी पार्टी में दिखाई दे रही है।

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    अखिलेश का समझौतावादी रुख

    यह अखिलेश यादव की सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने की आकांक्षा ही है कि वह हरियाणा में कांग्रेस से सीटें मांग रहे हैं। संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस एक से अधिक सीटें देने की इच्छुक नहीं है। इसके बावजूद अखिलेश ने समझौतावादी रुख अपनाकर स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस नजरें फेर ले तो भी वह उसका 'हाथ' 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव तक तो नहीं ही झटकेंगे।

    समाजवादी पार्टी का विस्तार

    दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा को परास्त करने की मंशा से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन पर बातचीत चल रही है। इस बीच आईएनडीआईए धड़े में शामिल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी भी अपने विस्तार के लिए हरियाणा में किस्मत आजमाने के लिए तैयार है।

    तीन सीटों का प्रस्ताव

    सूत्रों के अनुसार, सपा की तैयारी तो दस-बारह सीटों पर लड़ने की थी, लेकिन इस राज्य में सपा का कमजोर जनाधार देखते हुए कांग्रेस ने उससे सीटों के बंटवारे पर बातचीत भी आगे नहीं बढ़ाई। बताया गया है कि सपा की ओर से इसके बाद पांच-छह सीटों का भी संदेश पहुंचाया गया और अब तीन सीटों का प्रस्ताव दिया है, लेकिन कांग्रेस का ध्यान सिर्फ आम आदमी पार्टी से गठबंधन पर टिका हुआ है।

    आईएनडीआईए गठबंधन के पक्ष में माहौल

    पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि बेशक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सीमित जनाधार है, लेकिन उसके साथ रहने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा रुका। संविधान रक्षा और जातीय जनगणना के मुद्दे को जिस तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उठाया, उससे भी आईएनडीआईए गठबंधन के पक्ष में माहौल बना और सपा को अधिक लाभ हुआ। ऐसे में सपा की ओर से पूरा प्रयास यही रहेगा कि 2027 में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन हर हाल में बना रहे। इस दौरान होने वाले अन्य राज्यों के चुनावों में सीटों का बंटवारा सपा नजरअंदाज करके चलेगी।

    सपा से चार-पांच सीटों के लिए बातचीत

    इधर, उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव की चर्चा कांग्रेस की ओर से ठंडे बस्ते में डाल देने के संकेत हाईकमान की ओर से दिए गए हैं। हरियाणा में आप से गठबंधन की स्थिति साफ होने और कांग्रेस का माहौल देखने के बाद यूपी उपचुनाव के लिए सपा से चार-पांच सीटों के लिए बातचीत की जाएगी। हालांकि, अपनी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस सहमति दो-तीन सीटों पर भी दे देगी। इसकी वजह यह है कि गठबंधन बनाए रखना कांग्रेस की भी मजबूरी है।