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    पूरे देश में होगा वोटर लिस्ट रिवीजन, चुनाव आयोग ने कर ली है तैयारी; बिहार के बाद इन राज्यों की बारी

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 10:00 PM (IST)

    चुनाव आयोग मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को पूरे देश में शुरू करने की तैयारी में है। इसकी शुरुआत अगले महीने पश्चिम बंगाल तमिलनाडु असम और केरल सहित पाँच राज्यों से हो सकती है। आयोग का लक्ष्य है कि अगले दो सालों में चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों में यह अभियान चलाया जाए।

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    सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने इसे लेकर तैयारी भी शुरू कर दी (फोटो: रॉयटर्स)

    अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को लेकर भले ही कांग्रेस सहित कुछ विपक्ष दलों की ओर से अभी भी सवाल खड़े किए जा रहे है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखने के बाद चुनाव आयोग अब इस मुहिम को देश भर में छेड़ने की तैयारी में है। वह जल्द इसकी अधिकारिक घोषणा भी कर सकता है।

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    फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उनमें अगले दो सालों में इसे चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों में लेकर वह जाएगा। जिसकी शुरूआत अगले महीने से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और केरल सहित पांच राज्यों से हो सकती है। इन सभी राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव भी है।

    चुनाव आयोग से मिले संकेत

    चुनाव आयोग से मिले संकेतों के बाद देश के सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने इसे लेकर तैयारी भी शुरू कर दी। जिसमें वह राज्य में पहले हुए विशेष सघन पुनरीक्षण का सूची को वेबसाइट पर अपलोड करने और बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को प्रशिक्षण देने की तैयारी में जुट गए है।

    आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को चरणबद्ध तरीके से वह सबसे पहले उन सभी राज्यों में लेकर जाएगा, जहां पहले विधानसभा चुनाव के होने है। ऐसे में अगले साल यानी 2026 में जिन राज्यों में चुनाव होने है, वहां मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण पहले होगा।

    2 साल में पूरा हो जाएगा पुनरीक्षण

    • इसके बाद जिन राज्यों में 2027 में चुनाव होंगे उन राज्यों में यह अभियान चलेगा। ऐसे में अगले दो सालों में देश भर में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि इसके अंतिम मतदाता सूची के आने में करीब एक साल का और समय लग सकता है, क्योंकि पुनरीक्षण के बाद किसी भी गड़बड़ी पर चुनौती देने की भी व्यवस्था है।
    • आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक देश के अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण इससे पहले 2002 से 2004 के बीच हुआ था, जबकि इसके बाद दिल्ली में 2008 में व उत्तराखंड में 2006 में किया गया था। ऐसे में आयोग का सबसे अधिक फोकस इस अवधि के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए मतदाता पर है। बिहार में भी वह इन्हीं मतदाताओं से दस्तावेजों की मांग कर रहा है।
    • आयोग का मानना है कि कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद उसे इस काम करने में और आसानी होगी। गौरतलब है कि आयोग ने यह मुहिम तब शुरू की, जब कांग्रेस सहित उसके सहयोगी दलों ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद मतदाता सूची में गड़बडी के बड़े गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद ही चुनाव आयोग ने ठाना था, वह मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाकर ही दम लेगा।

    यह भी पढ़ें- 'आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड पर करें विचार', मतदाता सूची रिवीजन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

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