वोटर लिस्ट को लेकर राहुल गांधी की मांग को EC नहीं करेगा स्वीकार, समझिए क्या है पूरा मामला
राहुल गांधी चुनाव आयोग से मशीन-पठनीय मतदाता सूची की मांग कर रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा उठाई गई इसी तरह की मांग को पहले ही खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चुनाव मैनुअल के अनुसार केवल इमेज पीडीएफ ही दिए जा सकते हैं, सर्चेबल पीडीएफ नहीं। आयोग के निमंत्रण के बावजूद, राहुल गांधी ने मशीन-पठनीय सूची और सीसीटीवी फुटेज मिलने तक मिलने से इनकार कर दिया है।
राहुल गांधी ने ने ईवीएम पठनीय मतदाता सूची की मांग की।(फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों जिस मशीन पठनीय मतदाता सूची की मांग को लेकर चुनाव आयोग पर दबाव बना रहे हैं वह मांग सुप्रीम कोर्ट कई साल पहले खारिज कर चुका है।
वर्ष 2018 में कमलनाथ की अगुवाई में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव मैनुएल का हवाला देते हुए कहा था कि कानूनी रूप से ही इमेज पीडीएफ ही किसी भी दल को दिए जा सकते हैं। सर्चेबल पीडीएफ (यीनी साफ्ट कापी जिसमें कुछ सर्च किया जा सके)वह नहीं दिया जा सकता है।
राहुल इसी की मांग कर रहे हैं। चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मतदाता सूची को मशीन पठनीय रूप में मुहैया कराने की राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी की यह मांग काफी पुरानी है। लेकिन यह आश्चर्य है कि कांग्रेस पार्टी की जिस मार्ग को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है, वह फिर से क्यों कर रही है। चुनाव मैनुएल के क्लाज 11.2.2.2 में इसका जिक्र है कि सिर्फ इमेज पीडीएफ ही दिया जा सकता है।
कोर्ट ने जहां कमलनाथ की मांग खारिज की थी वहीं यह भी कहा था कि यदि कोई राजनीतिक दल इमेज पीडीएफ को मशीन पठनीय फार्म में तैयार करना चाहता है तो वह अपने संसाधनों के जरिए उसे बदल सकता है। इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी जिस तरह से मतदाता सूची में गड़बडि़यों पर सवाल खडे कर रहे है, उसे देखते हुए आयोग ने उन्हें हाल ही में उनके सुझावों के लिए उन्हें अपने दफ्तर आमंत्रित किया था। इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया है कि जब तक उन्हें मशीन पठनीय फार्म में मतदाता सूची और मतदान के सीसीटीवी फुटेज नहीं दिए जाएंगे, वे मिलने के लिए नहीं आएंगे।
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