Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    परिसीमन के बहाने DMK की अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर, सीतारमण ने सीएम स्टालिन पर साधा निशाना

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 23 Mar 2025 06:52 AM (IST)

    केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आरोप लगाया कि द्रमुक के पास अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने पेश करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वह हिंदी थोपने और संसदीय सीटों के परिसीमन जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठा रही है। उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति की आलोचना करते हुए इसे अराजकता करार दिया।

    Hero Image
    सीतारमण ने कहा कि DMK की अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर (फाइल फोटो)

    पीटीआई, चेन्नई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आरोप लगाया कि द्रमुक के पास अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने पेश करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वह हिंदी थोपने और संसदीय सीटों के परिसीमन जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तमिलनाडु में कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं

    उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति की आलोचना करते हुए इसे अराजकता करार दिया। सीतारमण ने अन्ना विश्वविद्यालय की छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा और पूछा कि क्या आरोपित द्रमुक पार्टी कार्यकर्ता नहीं है।

    सीतारमण ने द्रमुक से पूछा कि उसकी सरकार ने तमिलनाडु के लिए क्या किया है। उन्होंने कहा कि द्रमुक अपनी अक्षमता और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए भावनात्मक मुद्दे उठा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साफ कर चुके हैं कि कि परिसीमन के मामले में किसी भी राज्य के साथ अन्याय नहीं होगा।

    सीतारमण ने कहा कि यह झूठा प्रचार है

    उन्होंने कहा कि लोकसभा सीट बनाने के लिए जनसंख्या ही एकमात्र मापदंड नहीं है, जैसा कि लद्दाख और लक्षद्वीप जैसे छोटे जनसंख्या वाले क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों से स्पष्ट है। हिंदी थोपने के विवाद पर सीतारमण ने कहा कि यह झूठा प्रचार है।

    तमिलनाडु भाजपा ने द्रमुक के खिलाफ काले झंडों के साथ किया प्रदर्शन

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर अंतर-राज्यीय जल विवादों में राज्य के अधिकारों को छोड़ने का आरोप लगाते हुए और मेकेदातु बांध विवाद को लेकर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ शनिवार को भाजपाइयों ने काले झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन किया।

    विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भाजपा के राज्य प्रमुख के. अन्नामलाई ने दावा किया कि तमिलनाडु को केरल और कर्नाटक के साथ जल बंटवारे को लेकर कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है लेकिन स्टालिन ने उन्हें हल करने के लिए कुछ खास नहीं किया। इसके बजाय उन्होंने परिसीमन को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है और वेवजह का नाटक कर रहे हैं।

    परिसीमन को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई

    इस दौरान कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष और वहां के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा- ''काला रंग शनि भगवान का है। मैंने थिरुनल्लार (पुडुचेरी में) उनके मंदिर के कई बार दर्शन किए हैं।'' उन्होंने कर्नाटक द्वारा कावेरी नदी पर मेकेदातु में जलाशय बनाने की योजना पर कहा कि यह बांध तमिलनाडु के लिए कर्नाटक से भी अधिक लाभकारी होगा।

    परिसीमन से लोकसभा और राज्यसभा में किसी राज्य का प्रतिनिधित्व कम न हो : जगन

    आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शनिवार को अपील की कि परिसीमन प्रक्रिया इस तरह से की जाए कि इससे लोकसभा और राज्यसभा में किसी राज्य के प्रतिनिधित्व में कमी न आए।

    विपक्षी नेता ने इस बात पर जोर दिया

    प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में वाईएसआरसीपी प्रमुख ने इस बात पर प्रकाश डाला कि परिसीमन का मुद्दा इतना गंभीर है कि यह देश में सामाजिक और राजनीतिक सद्भाव को बाधित करने का कारण बन सकता है। विपक्षी नेता ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में इस तरह संशोधन किया जाना चाहिए कि किसी भी राज्य को अपने प्रतिनिधित्व में कमी का सामना न करना पड़े। हालांकि बैठक में में वाईएसआरसीपी को बुलाया गया था लेकिन उसने भाग नहीं लिया।

    सभी दलों को विश्वास में लेकर हो परिसीमन का काम : मोइली

    कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली ने परिसीमन को लेकर चल रही अस्थिरता की आलोचना की और कहा कि शाह का यह आश्वासन कि दक्षिणी राज्यों की संसदीय सीटें कम नहीं की जाएंगी, उन राज्यों के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

    मोइली ने कहा- ''देश में परिसीमन के संबंध में ढीली-ढाली बातें करना उचित नहीं है। परिसीमन आयोग की नियुक्ति होनी चाहिए और यह समिति का काम है कि वह निर्णय ले। सभी दलों को विश्वास में लेकर यह किया जाना चाहिए।''

    उन्होंने आगे कहा कि गृह मंत्री का कहना कि दक्षिण भारत में सीटें कम नहीं होंगी, इसका मतलब यह नहीं है कि उत्तर में सीटें नहीं बढ़ेंगी। यह भी दक्षिण को उचित प्रतिनिधित्व से वंचित करने के बराबर है।

    नए सिरे से जनगणना के बिना परिसीमन नहीं किया जा सकता

    कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि नए सिरे से जनगणना के बिना परिसीमन नहीं किया जा सकता। अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने संविधान में संशोधन करके कहा था कि 2026 के बाद पहली जनगणना पूरी होने तक परिसीमन स्थगित रहेगा, जिसका मतलब है 2031 तक। उधर एनसीपी (एसपी)नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना चाहिए, लेकिन यह निष्पक्ष तरीके से होना चाहिए।

    यह भी पढ़ें- परिसीमन के खिलाफ हल्ला बोल! चेन्नई में JAC की बैठक में बनी रणनीति, अब क्या करने वाला है विपक्ष?