राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा, भाजपा सांसद ने याद दिलाईं कांग्रेस शासनकाल की घटनाएं
राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा हुई, जिसमें भाजपा सांसद ने कांग्रेस शासनकाल की घटनाओं को याद दिलाया। बहस में चुनावी प्रक्रिया और सुधारों पर ध्यान ...और पढ़ें

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी। (संसद टीवी)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: चुनाव सुधारों की चर्चा के लिए सिर्फ सदन बदला। लोकसभा के बाद गुरुवार से राज्यसभा में चर्चा शुरू हो गई, लेकिन लगभग वही माहौल और तथ्य-तर्क भी लगभग समान रहे। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की ओर से जहां चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े करते हुए एसआइआर का विरोध किया गया, वहीं भाजपा ने भी ऐतिहासिक तथ्यों के सहारे कांग्रेस को घेरते हुए फिर मोर्चा संभाल लिया।
सत्ता पक्ष की ओर से सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कई घटनाओं के उल्लेख के साथ यह भी दावा किया कि चुनाव सुधारों के लिए 1990 के दशक में तभी काम शुरू हुआ, जब भाजपा मजबूत हुई। साथ ही दावा किया कि जब से चुनाव सुधार लागू हुए और भारत की साक्षरता दर 50 प्रतिशत हो गई, तब से कांग्रेस को बहुमत मिलना बंद हो गया।
राज्य सभा में दोपहर दो बजे के बाद चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस की ओर से सांसद अजय माकन ने की, जबकि भाजपा की ओर से वक्ता के रूप में डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने अपने विचार रखे। फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट और डॉ. भीमराव आंबेडकर के पुराने बयान का हवाला देते हुए दावा किया कि दुनिया आज भी मानती है कि लोकतंत्र का मजबूत आधार भारत में ही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना चुटकी ली कि फिर भी हमारे कुछ नेता लंदन में जाकर गुहार लगाते हैं कि भारत में लोकतंत्र को बचाना है। डॉ. त्रिवेदी ने दावा किया कि वास्तविक अर्थों में चुनाव सुधार की शुरुआत तब हुई, जब भाजपा शक्तिशाली हुई। 1993 में मतदाता पहचान-पत्र आया, केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती 1996 में प्रारंभ हुई। पहले बूथ वार मतगणना नहीं होती थी, भाजपा सरकार ने शुरू कराई।
अटल सरकार में ही सीसीटीवी कैमरों का प्रयोग शुरू हुआ और 2005 से सीसीटीवी की व्यवस्था स्थायी कर दी गई। इसी तरह जब मोदी सरकार आई तो राजनीतिक दलों के नकद दान को 20 हजार से घटाकर दो हजार रुपये किया। वीवीपैट की व्यवस्था कराई। कांग्रेस पर चुटकी ली कि जब से वोटर आइडी कार्ड आ गया, सीसीटीवी कैमरे लगे, स्वतंत्र न्याय पालिका और स्वतंत्र मीडिया हो गया और जब से साक्षरता दर 50 प्रतिशत हो गई, कांग्रेस को बहुमत मिलना बंद हो गया।
गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इनको (कांग्रेस को) तब बहुमत मिलता था, जिस जमाने में मतपेटियां लूटी जाती थीं, बूथ कैप्चरिंग होती थी, गोलियां चलती थीं। इन्हें लगता है कि शायद वही जमाना वापस आ जाए। एसआइआर पर सवाल उठा रहे विपक्ष को भाजपा सांसद ने याद दिलाया कि डॉ. आंबेडकर ने 18 दिसंबर 1950 को कहा था कि मतदाता सूची का हर छह माह में पुनरीक्षण होना चाहिए, लेकिन व्याहारिक रूप से मुश्किल यह है तो एक या दो साल में कर दिया जाए, लेकिन विपक्ष इसे 20 साल में भी करने के लिए तैयार नहीं है।
45 दिन बाद भी सीसीटीवी कैमरे के फुटेज सुरक्षित रखे जाने की राहुल गांधी की मांग पर चुटकी ली कि बिहार चुनाव का आज 45वां दिन है। क्यों नहीं सीसीटीवी के लिए आवेदन दिया है? इन्हें कुछ नहीं करना, सिर्फ बवाल करना है। बिहार में वोट चोरी के आरोप पर 35 साल में कांग्रेस के घटते गए वोटों का आंकड़ा सदन में रखते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कटाक्ष किया- आपके पास था ही क्या, जो चोरी हो गया।

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