Citizenship Act: भाजपा ने जारी किया वीडियो, मनमोहन ने की थी सीएए जैसे कानून की मांग
भाजपा ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का एक वीडियो सार्वजनिक किया है जिसमें उन्होंने वाजपेयी सरकार से मांग की थी कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता कानून का सड़क से लेकर कोर्ट और राष्ट्रपति भवन के दरवाजे तक विरोध कर रही कांग्रेस को इतिहास का पन्ना दिखाते हुए भाजपा ने असहज कर दिया है। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का वह वीडियो सार्वजनिक किया है जिसमें नेता विपक्ष रहते हुए उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से मांग की थी कि बांग्लादेश जैसे देशों से प्रताडि़त होकर आ रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में हमें ज्यादा उदार होना चाहिए।
खास बात यह है कि यह मांग उन्होंने संसद (राज्यसभा में) के अंदर नेता प्रतिपक्ष के रूप में की थी, लेकिन अब कांग्रेस ने न केवल सदन में इसका विरोध किया है, बल्कि वह इस मसले पर अन्य विरोधी दलों को भी सरकार के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रही है।कभी समर्थन-कभी विरोध में उलझी कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का अब कहना है कि ऐसा कुछ किया जाना था तो अधिसूचना के जरिए किया जाना चाहिए था, कानून लाने की आवश्यकता नहीं थी। वहीं भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव ने सीधे शब्दों में कहा कि 'कांग्रेस मुंह छिपा रही है।'
In 2003, speaking in Rajya Sabha, Dr Manmohan Singh, then Leader of Opposition, asked for a liberal approach to granting citizenship to minorities, who are facing persecution, in neighbouring countries such as Bangladesh and Pakistan. Citizenship Amendment Act does just that... pic.twitter.com/7BOJJMdkKa
— BJP (@BJP4India) December 19, 2019
नागरिकता कानून को लेकर सरकार की तरफ से बार-बार साफ किया जा रहा है कि यह किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है। जो भी भारतीय नागरिक है उसकी नागरिकता पर कोई अंगुली नहीं उठ रही है, लेकिन कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों को इस पर भरोसा नहीं है। वैसे तो 12 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा के दौरान ही भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस को 2003 में मनमोहन सिंह की मांग याद दिलाई थी, लेकिन गुरुवार को भाजपा ने उस वीडियो को ट्वीट भी किया। वीडियो में मनमोहन सिंह कह रहे हैं-'मैं शरणार्थियों की स्थिति पर सवाल कर रहा हूं तो यह भी कहना चाहता हूं कि देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के बारे में बहुत ज्यादा उदार होना चाहिए। यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है।'
मौजूदा समय नागरिकता संशोधन कानून को भारत की धर्मनिरपेक्षता पर आघात और संविधान के विपरीत बता रही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने तब सामने बैठे तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि उम्मीद है, वह (आडवाणी) इस पर विचार करेंगे। ध्यान रहे कि उस वक्त नागरिकता संशोधन पर ही चर्चा हो रही थी।
वीडियो सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस के सिंघवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा-'क्या 1971 और देश के बंटवारे के समय की आज से तुलना हो सकती है। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था, लेकिन क्या कभी इसके लिए किसी भी सरकार ने कानून बनाया? कुछ लोगों को नोटिफिकेशन के जरिए नागरिकता दी जा सकती है, जैसे युगांडा के 50 लोगों को नागरिकता दी गई थी, लेकिन इस तरह तीन देशों में कुछ धमरें का नाम लेकर कानून बनाना उचित नहीं है। हम उसका विरोध कर रहे हैं।'
भाजपा की ओर से भूपेंद्र यादव ने भी तत्काल पलटवार किया। उन्होंने कहा- 'कांग्रेस अब मुंह छिपा रही है। विरोध करने के लिए मनमोहन सिंह को झुठला रही है। शरणार्थियों और नागरिकों को लेकर नीति तय करना उचित दिशा में कदम है। यह हर देश करता है। कांग्रेस का व्यवहार बहुत गैर जिम्मेदाराना है।' उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के काल में गुजरात और राजस्थान में पाकिस्तान से आए ऐसे हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए गजट जारी हुआ था।
करात ने भी शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत की थी बताते हैं कि संप्रग काल के दौरान ही तत्कालीन माकपा महासचिव प्रकाश करात ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनके बयान की याद दिलाई थी और बांग्लादेश से पीडि़त होकर आए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता की बात की थी। हालांकि, माकपा पोलित ब्यूरो ने इसका खंडन किया है और कहा है कि वामदलों की ओर से संसद में भी यह संशोधन लाया गया था कि नागरिकता के लिए धर्म को आधार न बनाया जाए, लेकिन भाजपा ने उसे खारिज कर दिया था।