Pulwama Terror Attack: क्या परमाणु ब्लैकमेल पर उतर आये पाक पीएम इमरान?
2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन रक्षा मंत्री ख्वाजा एम आसिफ ने कहा था कि अगर कोई हमारी जमीन पर आक्रामण करता है तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगे।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने पुलवामा हमले पर जो बयान दिया है उसमें एक ऐसी बात कही है जिसको लेकर भारतीय रणनीतिकारों का खास तौर पर ध्यान गया है। अपने बयान के अंत में खान ने कहा है कि जंग शुरु करना आसान है। यह इंसान के हाथ में है लेकिन जंग खत्म करना इंसान के हाथ में नहीं। यह किधर जाएगी बात अल्लाह बेहतर जानता है।
भारत की तरफ से बदले की कार्रवाई की मिल रहे संकेत को देखते हुए इमरान खान के इस बयान को परमाणु ब्लैकमेल से जोड़ कर देखा जा रहा है। कारगिल युद्ध के बाद यह पहला मौका है जब पाकिस्तान सरकार के प्रमुख ने भारत से ब्लैकमेल के लहजे में बात की है।
आधिकारिक तौर पर भारत इसे बेहद गैर जिम्मेदाराना मानता है और यही वजह है कि वह इस तरह की बातों पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया भी नहीं जताता। यही वजह है कि इमरान खान के बयान पर भारत की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में वैसे तो उनकी तरफ से उठाये गये एक एक बात का जवाब दिया गया है लेकिन इस बिंदु का जवाब नहीं दिया गया है।
माना जा रहा है कि भारत ने जान बूझ कर इसका जवाब नहीं दिया है ताकि इसको लेकर वैश्विक दबाव नहीं बने। भारतीय पक्षकार यह मान रहे हैं कि पाक पीएम ने इस तरह की बात करके वहां की सेना की पुरानी रणनीति को सामने रख दिया है जिसका आधार यह है कि सीमित परमाणु युद्ध की धमकी दे कर भारत को किसी हमले से रोक कर रखा जाए।
जहां तक दोनो देशों के पास की परमाणु क्षमता की बात है तो यहां भी आधिकारिक तौर पर कोई डाटा उपलब्ध नहीं कराया जाता है। लेकिन दुनिया भर में परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अमेरिका स्थिति वैज्ञानिकों की निजी संस्थान फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट (एफएएस) की सबसे ताजी रिपोर्ट (सितंबर, 2018 में प्रकाशित) में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास 140-150 परमाणु हथियार हो सकते हैं जबकि भारत के पास 130-140 हो सकते हैं।
यह एफएएस हर वर्ष रिपोर्ट जारी करती है और यह पहला मौका है जब उसने पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा हथियारों के होने की बात कही है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि दोनो देशों ने अभी तक अपने हथियारों का रणनीतिक या गैर रणनीतिक स्तर पर तैनाती नहीं की है।
एफएएस की रिपोर्ट को दुनिया में प्रतिष्ठता की निगाह से देखा जाता है क्योंकि यह बेहद वैज्ञानिक तरीके से अपना आकलन करता है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान खास तौर पर ऐसे परमाणु हथियारों को विकसित करने में जुटा है तो कम दूरी के मिसाइलों में फिट किये जा सकते हो। इसका मकसद यह है कि वह भारत की पारंपरिक युद्ध करने की क्षमता को भी इसके जरिए संतुलित करना चाहता है। इस रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन की तरफ से वर्ष 2018 में पाकिस्तान में परमाणु हथियारों को युद्ध के मैदान में इस्तेमाल करने को लेकर चल रही तैयारियों पर गहरी चिंता जताई है।
सनद रहे कि सितंबर, 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन रक्षा मंत्री ख्वाजा एम आसिफ ने कहा था कि अगर कोई हमारी जमीन पर आक्रामण करता है या हमारी सुरक्षा को क्षति पहुंचाई जाती है तो हम इन हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।