'देखिए उद्धव जी; अगर आप इधर आना चाहते हैं तो...', उद्धव को विधान परिषद में फडणवीस ने दिया खुला ऑफर
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को साथ आने का निमंत्रण देकर राजनीतिक गलियारों में अटकलों को तेज कर दिया है। विधान परिषद में फडणवीस ने ठाकरे से कहा कि वे चाहें तो पक्ष में आ सकते हैं। ठाकरे ने इसे मजाक बताया लेकिन इस घटना ने पुराने सहयोगियों के पुनर्मिलन की संभावनाओं को फिर से चर्चा में ला दिया है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। बुधवार को महाराष्ट्र विधान परिषद में सदस्य उस समय आश्चर्य में पड़ गए, जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सत्तापक्ष में आने का ‘ऑफर’ दे डाला। बाद में विधानभवन परिसर में समूह फोटोग्राफी के अवसर पर भी अपने बैठने की जगह को लेकर उद्धव ठाकरे असमंजस में दिखाई दिए।
आज विधान परिषद में नेता विरोधी दल अंबादास दानवे का विदाई समारोह था। वह शिवसेना (यूबीटी) के नेता हैं। उनके विदाई समारोह में हिस्सा लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी उपस्थित थे। इसी अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मजाकिया लहजे में उद्धव ठाकरे को संबोधित करते हुए कहा कि उद्धव जी 2029 तक मेरी तो उस तरफ (विपक्ष की ओर) आने की कोई संभावना है नहीं। आप इधर आना चाहें, तो रास्ता निकाला जा सकता है। लेकिन उसके लिए कुछ अलग तरीके से सोचना पड़ेगा।
ठाकरे ने ऑफर को बताया मजाक
फडणवीस ने बोलते हुए यह भी याद दिलाया कि अंबादास दानवे कभी भाजपा के ही प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हुआ करते थे। लेकिन विधान परिषद सीट के बंटवारे के समय एक सीट तब की अविभाजित शिवसेना के हिस्से में जाने के कारण वह शिवसेना में चले गए थे।
सदन से बाहर आने के बाद जब पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे से मुख्यमंत्री फडणवीस के इस ऑफर के बारे में पूछा, तो उद्धव ने कहा कि सदन में ये बातें हंसी-मजाक के रूप में कही गई थीं, उन्हें वैसे ही समझना चाहिए।
फोटो के दौरान असमंजस में उद्धव
लेकिन हंसी-मजाक की इस घटना के कुछ ही देर बाद विधानभवन की सीढ़ियों के पास हो रही समूह फोटोग्राफी में शामिल होने के लिए जब उद्धव ठाकरे पहुंचे, तो शिवसेना में विभाजन के बाद पहली बार ऐसा अवसर भी आया, जब उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आमने-सामने होना पड़ा।
तब शिंदे के बगल में बैठीं विधान परिषद की उपसभापति डॉ.नीलम गोरे ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने स्थान पर अर्थात एकनाथ शिंदे के बगल में बैठने के लिए सीट छोड़ दी। लेकिन उद्धव वहां नहीं बैठे। तब उनके लिए नीलम गोरे के दाहिनी ओर की कुर्सी खाली कराई गई, और वह वहां बैठे।
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