केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा के मैगसेसे पुरस्कार लेने पर CPI-M ने लगाई रोक, पार्टी नेताओं ने CM विजयन पर उठाए सवाल
केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को पार्टी ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को स्वीकार करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। पार्टी के इस फैसले पर नेताओं ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने सीएम पिनाराई विजयन पर ही सवाल खड़े किए हैं।

तिरुवनंतपुरम, एजेंसी। CPI-M की केरल यूनिट ने केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को 2022 के प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को स्वीकार करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार, शैलजा को रेमन मैगसेसे अवार्ड फाउंडेशन द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति उनकी सेवा के लिए 64वें मैगसेसे पुरस्कारों के लिए चुना गया था। उनके कार्यकाल के दौरान निपाह प्रकोप और कोविड महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य ने वैश्विक पहचान हासिल की थी। उनके नेतृत्व में संक्रामक रोगों को रोकने के लिए दुनिया भर में सराहना हुई थी।
जुलाई 2022 में हुआ था शैलजा के नाम का एलान
फाउंडेशन ने जुलाई 2022 के अंत में शैलजा को ई-मेल द्वारा सूचित किया कि उन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया है और वह पुरस्कार स्वीकार करने में उनकी पुष्टि चाहता है। CPI-M की केंद्रीय समिति की सदस्य होने के नाते शैलजा ने पार्टी नेतृत्व को सूचित किया और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद माकपा ने पुरस्कार स्वीकार करने के खिलाफ फैसला किया। CPI-M के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, पार्टी की राय है कि शैलजा केवल पार्टी द्वारा उन्हें सौंपा गया कर्तव्य निभा रही थी और ये कोई विशेष बात नहीं है।
संजीव थॉमस ने उठाए फैसले पर सवाल
CPI-M के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी यह भी मानती है कि निपाह और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई एक संयुक्त प्रयास था। यह किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं था, इसलिए उन्हें पुरस्कार स्वीकार नहीं करना चाहिए। माकपा के इस फैसले से कुछ नेता नाराज हैं। आइएएनएस से बात करते हुए, सीपीआई-एम के नेता संजीव थॉमस ने कहा पिनाराई विजयन ने पहले शैलजा के लिए शिक्षक पुरस्कार को रद्द कर दिया। वह अपने अलावा किसी और को सुर्खियों में देखना नहीं चाहते। पार्टी भविष्य में इसका पश्चाताप करेगी।
एशिया का नोबेल है 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार'
सीपीआई-एम के नेता संजीव थॉमस ने कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को एशियाई नोबेल पुरस्कार माना जाता है और अगर उसने इसे स्वीकार कर लिया होता, तो वह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाली पहली केरल की महिला होतीं। कृषि वैज्ञानिक डा एम.एस. स्वामीनाथन, पत्रकार संपादक बी.जी. वर्गीज और भारत के प्रसिद्ध चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन अन्य केरलवासी ऐसे है, जिन्होंने प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है।
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