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    भारत-भूटान मिलकर बनाएगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, विदेश मंत्री ने वर्चुअली किए हस्ताक्षर

    600 मेगावाट के हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए हस्ताक्षर समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया।

    By Monika MinalEdited By: Updated: Mon, 29 Jun 2020 12:33 PM (IST)
    भारत-भूटान मिलकर बनाएगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, विदेश मंत्री ने वर्चुअली किए हस्ताक्षर

    नई दिल्ली, एएनआइ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ( EAM Dr S. Jaishankar) ने सोमवार को भूटान में एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए समझौते के हस्ताक्षर समारोह में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हिस्सा लिया। इसके साथ ही भूटान में पहले ज्वाइंट वेंचर की शुरुआत होगी जो 600 मेगावाट के खोलोंगछू जेवी- हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Kholongchhu JV-Hydroelectric Project) का निर्माण करेगा।

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    इस एग्रीमेंट पर भूटान सरकार और खोलोंगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड (Kholongchhu Hydro Energy Limited) ने हस्ताक्षर किया था। प्रोजेक्ट के 2025 के अगस्त में पूरा होने की उम्मीद है। खोलोंगछू हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड ज्वाइंट वेंचर कंपनी है। भूटान के ड्रूक ग्रीन पावर कार्पोरेशन ( Druk Green Power Corporation, DGPC) और भारत के सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (Satluj Jal Vidyut Nigam Limited, SJVNL) के बीच यह समझौता हुआ है। यह प्रोजेक्ट पूर्वी भूटान के त्रशियांगत्से जिले में खोलोंगछू नदी के निचले इलाके में बनाया गया है।

    एक प्रेस रिलीज के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के लिए भूटान सरकार और खोलोंगछू हाइड्रोएनर्जी लिमिटेड के बीच समझौते पर थिंपू में 29 जून 2020 को हस्ताक्षर किया गया। उस वक्त भी एस जयशंकर और भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी (Lyonpo Tandi Dorji) मौजूद थे। इस प्रोजेक्ट के लिए विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया, ' इस प्रोजेक्ट के लिए किए गए समझौते पर हस्ताक्षर से भारत और भूटान के बीच पहली हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण और अन्य गतिविधियां शुरू हो सकेंगी।' 600 मेगावाट की यह परियोजना पूर्वी भूटान के त्राशियांगत्से जिले में खोलोंगछू  नदी के निचले हिस्से में शुरू होगी।

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस परियजोना के तहत चार 150 मेगावाट के भूमिगत टर्बाइन वाला बिजलीघर स्थापित किया जाएगा और 95 मीटर की ऊंचाई वाले बांध से यहां पानी पहुंचाया जाएगा।

    जयशंकर और उनके भूटानी समकक्ष ने इस मौके पर पनबिजली के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे परस्पर फायदेमंद द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का महत्वपूर्ण स्तंभ करार दिया।