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    कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सरदार पटेल की कश्मीर नीति पर उठे सवाल तो कुछ सदस्‍यों ने जताई आपत्ति, जानें पूरा वाकया

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:44 PM (IST)

    कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार को हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर को लेकर देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की नीति पर सवाल उठाए गए। इसका कुछ सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि ऐसी बातें नहीं की जानी चाहिए। जानें किसने क्‍या कहा....

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    कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जम्मू-कश्मीर को लेकर सरदार पटेल की नीति पर सवाल उठाए गए।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार को हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर को लेकर देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की नीति पर सवाल उठाए गए। जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले कार्यसमिति के स्थायी सदस्य तारिक हामिद कर्रा ने पटेल की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर पर उनका रुख उदासीन था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने त्वरित पहल नहीं की होती तो कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता।

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    तारिक हामिद कर्रा ने उठाए सवाल

    समझा जाता है कार्यसमिति में कर्रा ने पटेल की कश्मीर नीति को लेकर सवाल उठाते हुए आलोचना की तो शुरुआत में उन्हें बोलने से रोका नहीं गया। सूत्रों ने बताया कि हामिद कर्रा ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा गंभीर स्थिति की चर्चा के क्रम में कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के भारत में विलय पर सरदार पटेल का ध्यान नहीं था और पाकिस्तान इसे अपने कब्जे में लेने के लिए हर कोशिश कर रहा था।

    नेहरू की तारीफ  

    कर्रा ने यह भी कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री पटेल कश्मीर पर पाक के मंसूबों को रोकने के बजाय दूसरे मसलों को प्राथमिकता दे रहे थे। कर्रा ने कहा कि ऐसे में पंडित नेहरू ने तत्परता दिखाते हुए कश्मीर का भारत में विलय कराया। कार्यसमिति में कर्रा जब पटेल पर यह सवाल उठा रहे थे तब उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश नहीं की गई।

    कुछ सदस्‍यों ने किया विरोध, कर्रा को दिखाया आईना 

    हालांकि कर्रा के बोलने के बाद कार्यसमिति के कुछ सदस्यों ने जरूर कर्रा को आईना दिखाते हुए कहा कि उन्हें ऐसी बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सरदार पटेल हैदराबाद से लेकर जूनागढ़ के देशी रियासतों के विलय को अंजाम दे रहे थे। पंडित नेहरू तथा सरदार पटेल के बीच कश्मीर से लेकर तमाम देशी रियासतों के विलय को लेकर गहरी आपसी समझदारी और एकराय थी। कर्रा कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं और कुछ साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं।