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    'कर्नाटक का खेला नहीं हुआ खत्म, अब CM को लेकर फंसा पेंच'; कांग्रेस ने ढहाया भाजपा का किला: 10 बड़ी बातें

    By Anurag GuptaEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 14 May 2023 05:20 AM (IST)

    Karnataka Election Result भाजपा ने चुनाव परिणाम के साथ ही दक्षिण का एकमात्र अपना किला भी खो दिया। कांग्रेस ने 224 सदस्यीय विधानसभा की 136 सीटें अपने नाम कर ली हैं जबकि भाजपा के हिस्से में महज 65 सीटें आईं।

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    कर्नाटक में अबकी बार कांग्रेस सरकार (फोटो: @INCKarnataka)

    बेंगलुरू, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक का चुनावी नाटक तो समाप्त हो गया, लेकिन कांग्रेस किसकों सत्ता सौपेगी। इसको लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बोलकर भावुक अपील की थी तो दूसरी तरफ प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार की लोकप्रियता किसी से कम नहीं है और वो भी मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल हैं।

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    कर्नाटक चुनाव की 10 बड़ी बातें:

    1. भाजपा ने चुनाव परिणाम के साथ ही दक्षिण का एकमात्र अपना किला भी खो दिया। कांग्रेस ने 224 सदस्यीय विधानसभा की 136 सीटें अपने नाम कर ली हैं, जबकि भाजपा के हिस्से में महज 65 सीटें आईं। अगर बात जेडीएस की करें तो किंगमेकर की भूमिका निभाने का सपना देख रही पार्टी को सिर्फ 19 सीटों से ही काम चलाना पड़ा।
    2. कर्नाटक का किला जीतने के बाद अब कांग्रेस के पास सबसे बड़ी चुनौती सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच में संतुलन स्थापित करना है। दोनों नेताओं की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है और दोनों नेताओं के बीच अनबन की खबरें भी आती रहती थी, लेकिन वो इसे नकारते रहे हैं। इसके बावजूद चुनाव अभियान को सफलतापूर्वक समाप्त किया।
    3. चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद सवाल उठने लगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन ? इसी बीच डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया के बेटे की मुख्यमंत्री वाली प्रतिक्रिया पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आलाकमान इस पर निर्णय लेगा।
    4. कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बताया कि कांग्रेस विधायक दल (CLP) की पहली बैठक रविवार की शाम 5 बजकर 30 मिनट पर बुलाई गई है। बता दें कि कांग्रेस ने सभी नवनिर्वाचित विधायकों को बेंगलुरू बुलाया है। आपको बता दें कि कर्नाटक के मामले में कांग्रेस ने कभी भी चुनावों से पहले मुख्यमंत्री चेहरे का एलान नहीं किया है। यह पार्टी की पुरानी प्रथाओं में से एक है।
    5. राहुल गांधी के नेतृत्व वाली 'भारत जोड़ो यात्रा' कर्नाटक के जिन 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी थी उनमें से 15 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि जेडीएस को तीन और भाजपा ने दो सीट पर जीती हैं। इससे पहले साल 2018 के चुनाव में इन 20 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में महज 5 सीटें ही आई थीं।
    6. कर्नाटक में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने मोहब्बत की बात कही। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता, कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को बधाई। कर्नाटक के चुनाव में एक तरफ साठगांठ वाले पूंजीवादियों की ताकत थी तो दूसरी तरफ तरफ गरीब जनता की शक्ति थी। शक्ति ने ताकत को हरा दिया। हमने नफरत और गलत शब्दों से लड़ाई नहीं लड़ी। हमने प्यार से दिल खोलकर यह लड़ाई लड़ी। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ और मोहब्बत की दुकाने खुलीं।
    7. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी की प्रचंड जीत के बाद भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो लोग 'कांग्रेस मुक्त भारत' चाहते थे, उन्हें 'भाजपा मुक्त दक्षिण भारत' मिला है। उन्होंने कहा कि अहंकारी बयान अब नहीं चलेंगे और लोगों के दुख दर्द को समझना चाहिए।
    8. बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल थावर चंद गहलोत को सौंपा। चुनाव परिणाम सामने आने के बाद बोम्मई ने हार की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव में हार के कई कारण हैं, राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते हम हर चीज का विश्लेषण करेंगे। हम अपनी सभी कमियों का भी विश्लेषण करेंगे और लोकसभा चुनाव में फिर से वापसी करेंगे।
    9. कर्नाटक का किला जीतने से कांग्रेस के मनोबल में बढ़ोतरी हुई है और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत में तीन हिंदी पट्टी राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं। पार्टी को भरोसा है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उनकी वापसी होगी। इसके अतिरिक्त कांग्रेस मध्य प्रदेश को वापस हथियाने की कोशिश करेगी। दरअसल, हिमाचल के बाद कर्नाटक चुनाव में स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेताओं को आगे रखते हुए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे के सहारे चुनाव को राष्ट्रीय पिच पर ले जाने के भाजपा के दांव को पस्त कर दिया है।
    10. अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राज्य की 28 सीटों पर सभी की निगाहें रहेंगी, जहां पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा का वोट शेयर तो कम नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी ने लिंगायत समुदाय का भरोसा गया है। चुनावी परिणाम देखने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पार्टी ने वोक्कालिगा, अनुसूचित जाति और जनजाति के भी बहुतेरे वोट गंवा दिए हैं।