महाराष्ट्र-हरियाणा में हार का असर! 29 नवंबर को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, दिल्ली-बिहार पर भी होगी चर्चा
कांग्रेस कार्यसमिति की अहम बैठक 29 नवंबर को होने जा रही है। बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुई शिकस्त को लेकर चर्चा होगी। इसके अलावा अदाणी के मुद्दे पर भी चर्चा संभव है। दिल्ली और बिहार में कांग्रेस की रणनीति को लेकर भी बातचीत हो सकती है। महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों के बाद ये पहली बैठक होगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन की करारी शिकस्त के परिप्रेक्ष्य में पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्यसमिति की 29 नवंबर को बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में महाराष्ट्र के चुनावी पराजय से जुड़ी पहलुओं और हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लगभग हाथ आई मानी जा रही जीत के अप्रत्याशित हार में तब्दील होने पर भी पार्टी के शीर्ष नेता विचार मंथन करेंगे।
अदाणी के मुद्दे पर भी होगी चर्चा
साथ ही अदाणी समूह पर भ्रष्टाचार के अमेरिकी अदालत में लगे आरोपों के परिप्रेक्ष्य में संसद में विपक्ष की ओर से इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग से सरकार के लगातार इनकार करने के मुद्दे पर भी कार्यसमिति की बैठक में चर्चा किए जाने के संकेत हैं।
महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे के बाद पहली बैठक
महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे आने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की यह पहली बैठक होगी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी के शीर्ष अंदरूनी फोरम पर दोनों राज्यों के प्रतिकूल परिणामों पर चर्चा कर भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी पर फोकस करेंगे।
दिल्ली-बिहार की चुनावी रणनीति पर भी चर्चा
बता दें कि अगले दो महीने के दौरान दिल्ली में चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के अलावा भाजपा की दोहरी चुनौती से रूबरू होना है। संकेत हैं कि दिल्ली और बिहार की चुनावी रणनीति को लेकर भी कार्यसमिति में चर्चा की जा सकती है और इसमें गठबंधन का मसला भी शामिल रहेगा।
गौरलतब है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था मगर दोनों दलों की ओर से विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की जा चुकी है। बिहार में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हे जहां कांग्रेस राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा है। हालांकि, कांग्रेस का राजनीतिक दायरा सीमित रखने की लालू-तेजस्वी की रणनीति पार्टी नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बनी हुई और कार्यसमिति में इन पहलुओं पर भी मंत्रणा की जा सकती है।
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