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    कांग्रेस ने कहा गुजरात में इच्छाधारी वोट मॉडल की मीडिया करे जांच, चुनाव आयोग नहीं कर रहा न्याय

    कांग्रेस ने लोकतंत्र के हित में मीडिया से आखिरी एक घंटे में 6.5 फीसद वोट पड़ने पर हैरत जाहिर करते हुए दावा किया कि मतदान केंद्रों में वोटरों की तादाद इतनी नजर नहीं आयी जितने वोट आखिरी घंटे में डाले गए।

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 12 Dec 2022 08:13 PM (IST)
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    पवन खेड़ा ने लगाया आरोप- आखिरी घंटे में बूथ पर मौजूद लोगों की संख्या की तुलना में हुआ ज्यादा मतदान

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गुजरात चुनावों में अपनी सबसे करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस ने वहां मतदान के आखिरी घंटे में पड़े वोटों की संख्या की गहराई से जांच कराने की मांग उठाते हुए कहा है कि पार्टी अपने स्तर पर फार्म 17सी एकत्र कर इसका विश्लेषण करने के प्रयास में जुटी है। कांग्रेस ने लोकतंत्र के हित में मीडिया से आखिरी एक घंटे में 6.5 फीसद वोट पड़ने पर हैरत जाहिर करते हुए दावा किया कि मतदान केंद्रों में वोटरों की तादाद इतनी नजर नहीं आयी जितने वोट आखिरी घंटे में डाले गए।

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    पवन खेड़ा ने लगाया आरोप

    पवन खेड़ा ने आखिरी घंटे में पड़े मतों को इच्छाधारी वोट का नाम देते हुए आरोप लगाया कि बड़ौदा, अहमदाबाद सूरत और राजकोट आदि संभागों में शाम के पांच से छह बजे के लिए भारी मतदान हुआ। एक वोट डालने में 60 सेकंड लगते हैं मगर इस दौरान औसतन 45 सेकंड ही लगे और इस आंकड़े के हिसाब से हर बूथ के बाहर अफरातफरी, मच जानी चाहिए थी मगर इतनी भीड़ वहां नहीं थी। खेड़ा ने कहा कि बड़ौदा संभाग में 144 विधानसभा क्षेत्र रावपुरा में पांच बजे तक 51 फीसद मतदान हुआ था लेकिन छह बजे यह आंकड़ा 57.68 फीसद हो गया।

    चुनाव आयोग हमारी पिछली शिकायतों पर नहीं कर रहा न्याय : खेड़ा

    कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीडिया से आग्रह है कि वह अपने स्तर पर भी इसकी जांच करे वैसे हम हर बूथ पर मतदान का विश्लेषण कर रहे हैं इसमें अभी हफ्ते भर का समय लगेगा। उन्होंने आशंका जताई कि इच्छाधारी वोटों का यह नया माडल आ रहा है और चुनाव-मुक्त, लोकतंत्र-मुक्त भारत बनाने की इन कोशिश के खलिाफ गंभीरता से आवाज उठानी होगी। आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हमने चुनाव आयोग के समक्ष आचार संहिता के उल्लंघन की कई शिकायतें कीं पर इन पर आयोग ने न्याय नहीं किया है और न ही न्याय की कोई उम्मीद दिख रही है।

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