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    'GDP विकास दर में गिरावट में दिख रही मंदी की आशंका', कांग्रेस बोली- खपत कम, निर्यात गिरा और नौकरियां पैदा नहीं हो रहीं

    Updated: Tue, 03 Dec 2024 08:10 PM (IST)

    मंगलवार को कांग्रेस ने जीडीपी में गिरावट का मुद्दा उठाया। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज हकीकत को नकारा जा रहा है। उन्होंने रिजर्व बैंक के आकलन में त्रुटियों की ओर इशारा भी किया। श्रीनेत ने कहा कि मुद्रास्फीति की उच्च दर का असर गरीब और मध्यम परिवारों पर पड़ रहा है। इन परिवारों का बजट बिगड़ रहा है।

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    कांग्रेस की डिजिटल-सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत। ( फाइल फोटो )

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में गिरावट के साथ पिछले 21 महीनों में सबसे कम 5.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंचने को चिंताजनक बताते हुए कहा है कि यह देश की आर्थिक वास्तविकताओं को उजागर करता है। पार्टी के अनुसार अर्थव्यवस्था विकास दर में गिरावट के साथ कम वेतन के जहरीले मिश्रण का गवाह बन रही है और जीडीपी में मंदी को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि ये आंकड़े भाजपा के लिए असहज हैं।

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    हकीकत को नकारा जा रहा है: श्रीनेत

    जीडीपी के ताजा आंकड़ों को लेकर कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पार्टी की डिजिटल-सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी के 21 महीनों के निचले स्तर पर पहुंचने का मतलब है कि निवेश नहीं हो रहे हैं। खपत कम और निर्यात गिर गया है और नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं। इसको लेकर नीति निर्माताओं के बीच खतरे की घंटी बजनी चाहिए लेकिन इसके विपरीत हकीकत को नकारा जा रहा है।

    खोखले दावे उजागर

    कांग्रेस प्रवक्ता ने विकास दर का अनुमान लगाने में रिजर्व बैंक के आकलन में त्रुटियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसने पिछली मौद्रिक नीति में दूसरी तिमाही के लिए सात फीसद जीडीपी वृद्धि का आकलन किया था और सभी मैक्रो आर्थिक संकेतक होने के बावजूद उसका गलत अनुमान समझ से परे है। निर्माण क्षेत्र का जिक्र करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह केवल 2.2 प्रतिशत बढ़ा है जो मेक इन इंडिया और पीएलआई योजना के खोखले दावों को उजागर करता है। इतना ही नहीं दूसरी तिमाही के लिए आयात वृद्धि वास्तव में लगभग 3 प्रतिशत और निर्यात में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आयी है।

    पारिवारिक बजट पर भारी पड़ रही मुद्रास्फीति की उच्च दर

    उन्होंने सरकार से सवाल किया कि पहली तिमाही में सरकारी व्यय 4.15 लाख करोड़ रुपये के लिए लोकसभा चुनाव के आदर्श आचार संहिता को जिम्मेदार ठहराया था मगर दूसरी तिमाही में यह मात्र 4.01 लाख करोड़ रुपये रही है तो इस कम खर्च का क्या कारण है। बेरोजगारी दर बढ़ने का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि तथ्य को देखते हुए कि हमारी 65 फीसद आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है ऐसे में मुद्रास्फीति की उच्च दर मध्यम और गरीब वर्ग के पारिवारिक बजट पर भारी पड़ रही है।

    इसका नतीजा है कि पिछले पांच वर्षों में बचत में 44 प्रतिशत तक की गिरावट आई है जो 2019-20 में 11.61 लाख करोड़ रुपये से लगभग आधे घटकर 6.52 लाख करोड़ रह गई है। इन हालातों के बीच अब रुपये का चिंताजनक रूप से अवमूल्यन हो रहा है और एक डॉलर का मूल्य करीब 85 रुपये पहुंच गया है। मगर सरकार में अर्थव्यवस्था को सुधारने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिख रही है।

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