कांग्रेस के इस अध्यक्ष ने आर्थिक सुधारों से बदली थी देश की तस्वीर, पांच साल तक चलाई थी अल्पमत की सरकार
PV Narasimha Rao कांग्रेस का एक अध्यक्ष ऐसा भी था जिसने आर्थिक सुधारों से देश की तस्वीर बदली थी। यही नहीं अल्पमत की सरकार रहने के बावजूद वह पांच साल तक प्रधानमंत्री बना रहा। कौन था वह अध्यक्ष आइए जानते हैं...
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। P V Narasimha Rao : कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत 24 सितंबर से हो चुकी है, जो 30 सितंबर तक चलेगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अन्य नेताओं की तुलना में रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के नए अध्यक्ष की आधिकारिक घोषणा 19 अक्टूबर को होगी। आज हम आपको कांग्रेस के ऐसे अध्यक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देश के प्रधानमंत्री भी रहे। उन्हें 'आर्थिक सुधारों का पिता' या 'आर्थिक सुधारों का अग्रदूत' भी कहा जाता है। उनका नाम है- पीवी नरसिम्हाराव।
1992 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने राव
पीवी नरसिम्हाराव 1992 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें तिरुपति में हुए अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद 1993 में सूरजकुंडी और 1994 में दिल्ली अधिवेशन में भी उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। राव 1996 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। माना जाता है कि सोनिया गांधी के दखल के बाद उन्हें अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था। उनकी जगह सीताराम केसरी को अध्यक्ष बनाया गया था।
देश के नौवें प्रधानमंत्री
राव देश के नौवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1991 से लेकर 1996 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने अल्पमत के बावजूद अपनी सरकार को पांच साल तक चलाया। इसके लिए उन्हें 'चाणक्य' भी कहा जाता है।
जीवन परिचय
पीवी नरसिम्हाराव का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना के वारंगल जिले में हुआ था। उस समय यह हैदराबाद राज्य का हिस्सा था। वे हैदराबाद राज्य में वंदे मातरम आंदोलन का हिस्सा भी रहे। उन्होंने हनमकोंडा जिले से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने हिसलोप कालेज, जो अब नागपुर विश्वविद्यालय के अधीन है, से कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक करियर
- राव ने 1952 से लेकर 1977 तक आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा के लिए एक निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने 1962 से लेकर 1973 तक आंध्र सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया।
- राव 1971 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- वे आंध्र प्रदेश से लोकसभा सदस्य भी चुने गए।
- इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में उन्होंने गृह, रक्षा और विदेश जैसे मंत्रालय को संभाला।
- वे 1980 से 1984 और 1988 से 1989 तक विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
- राव 1980, 1984, 1989, 1991, 1991 और 1996 में लोकसभा सांसद चुने गए।
आर्थिक सुधारों के अग्रदूत
राव जब 1991 में देश के प्रधानमंत्री बने, उस समय देश में आर्थिक संकट छाया हुआ था। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा था। देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। इन सब से देश को बाहर निकलना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए उनकी सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करना, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने पर ध्यान दिया। उन्होंने भारत के बाजार को विदेशी निवेशकों के लिए खोल दिया। इसके लिए उन्होंने व्यापार सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमन में बदलाव भी किए।
मनमोहन सिंह की अहम भूमिका
पूंजी बाजार में प्रमुख सुधारों का असर भी दिखा। भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश तेजी से बढ़ा। 1994 में नेशनल स्टाक एक्सचेंज की शुरुआत एक कंप्यूटर आधारित ट्रेडिंग सिस्टम के रूप में हुई। यह 1996 तक भारत का सबसे बड़ा एक्सचेंज बन गया। राव ने टैरिफ को औसतन 85 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया। देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने में उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की अहम भूमिका रही।
2004 में निधन
राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ। परिवार का आरोप था कि वे चाहते थे कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो, लेकिन कांग्रेस ने इसकी अनुमति नहीं दी। अंत में, उनके शव को हैदराबाद ले जाया गया और वहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया।
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