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    Congress President Election: मल्लिकार्जुन खड़गे बनाम शशि थरूर; किसका दावा मजबूत

    By Jagran NewsEdited By: Krishna Bihari Singh
    Updated: Fri, 30 Sep 2022 11:12 PM (IST)

    मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन पर्चा दाखिल कर दिया। अब चुनावी समर में खड़गे की भिड़ंत असंतुष्ट खेमे के तेज तर्रार नेता शशि थरूर से होगी। जानें दोनों में किसका दावा मजबूत...

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    मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन पर्चा दाखिल कर दिया।

    नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन पर्चा दाखिल कर दिया। इसके साथ ही अगले अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे चेहरों को लेकर असमंजस का पटाक्षेप हो गया। दिलचस्‍प बात यह कि पार्टी के असंतुष्ट समूह-23 के तमाम नेता खड़गे के प्रस्तावक बने। अब चुनावी समर में खड़गे की भिड़ंत असंतुष्ट खेमे के तेज तर्रार नेता शशि थरूर से होगी। जानें दोनों दिग्‍गजों में किसका दावा मजबूत...

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    शिक्षा

    • 21 जुलाई 1942 को जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे सेठ शंकरलाल लाहोटी ला कालेज से कानून विषय में स्नातक हैं।
    • शशि थरूर का जन्म नौ मार्च 1956 को हुआ। वह दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज से स्नातक होने के साथ फ्लेचर स्कूल आफ ला एंड डिप्लोमैसी से सबसे कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय मामले विषय में पीएचडी कर चुके हैं।

    कांग्रेस से नाता

    • मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में शामिल हैं। वर्ष 1969 में कर्नाटक में पार्टी में शामिल हुए।
    • शशि थरूर डिप्लोमैट से राजनेता बने हैं। वर्ष 2009 में कांग्रेस का हाथ थामा।

    राजनीति और चुनावी जीत-हार

    • खड़गे ने कर्नाटक में मजदूर राजनीति से आरंभ किया। वह 1972 से 2008 तक लगातार कर्नाटक के कलबुर्गी से विधायक बने। वर्ष 2004 और 2009 में लोकसभा का चुनाव जीता।
    • थरूर ने कालेज के दिनों में ही राजनीति में कदम रखा और सेंट स्टीफेंस कालेज के अध्यक्ष चुने गए। संयुक्त राष्ट्र से इस्तीफा देने के बाद वर्ष 2009 में कांग्रेस से जुड़े और लगातार तीन बार थिरुअनंतपुरम से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

    प्रशासनिक दक्षता

    • खड़गे कर्नाटक में छह सरकारों में मंत्री रहने के साथ संप्रग-2 सरकार में श्रम मंत्रालय व रेल मंत्रालय का प्रभार संभाल चुके हैं। लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के नेता भी रहे हैं।
    • थरूर छोटे कार्यकाल के लिए दो बार संप्रग-2 सरकार में राज्य मंत्री (विदेश व मानव संसाधन मंत्रालय) रहे हैं। अलबत्ता वह संयुक्त राष्ट्र संघ में 1978 से 2007 तक विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं और महासचिव पद के लिए दावेदारी भी पेश की थी। उन्हें अंतरराष्ट्रीय मामलों और कूटनीति का गहरा अनुभव है।

    सांगठनिक क्षमता 

    • खड़गे जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। लगातार नौ बार विधानसभा और दो बार लोकसभा चुनाव जीतने से मतदाताओं के साथ उनके जुड़ाव का प्रमाण मिलता है। वह वर्ष 2005 से 2008 तक कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे और इसी दौरान कांग्रेस ने कर्नाटक विस चुनाव में अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की।
    • थरूर तीन बार से लोकसभा का चुनाव जीत रहे हैं। इसमें वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव भी शामिल हैं जब भाजपा के नेतृत्व में राजग को देश में प्रचंड बहुमत मिला।

    इंटरनेट मीडिया पर लोकप्रियता 

    • खड़गे इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हैं और ट्विटर पर उनके 91.3 हजार फालोअर्स हैं। -इस मामले में थरूर खासे लोकप्रिय हैं और ट्विटर पर उऩके 83 लाख फालोअर्स हैं। वह 2013 तक वह इंटरनेट मीडिया पर सबसे अधिक फालो किए जाने वाले भारतीय नेता थे। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी पहले नंबर पर पहुंच गए।

    ...तो कांग्रेस में होगा कर्नाटक का दबदबा 

    • यदि मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष बनते हैं तो वह इस पद पर आसीन होने वाले कर्नाटक के दूसरे कांग्रेस नेता होंगे। इससे पहले लिंगायत समुदाय के एस निजा¨लगप्पा वर्ष 1969.69 में कांग्रेस अध्यक्ष थे।
    • खड़गे के अध्यक्ष बनने की स्थिति में वर्तमान में कांग्रेस में कर्नाटक के दो नेता अहम पदों पर होंगे। इस समय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास भी कर्नाटक से ही आते हैं।

    ...जब दो बार सीएम बनते-बनते रह गए खड़गे

    कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे का अचानक प्रवेश अशोक गहलोत की दावेदारी वापस होने के बाद हुआ है। राजस्थान में गहलोत व सचिन पायलट के खेमों के बीच सीएम पद के लिए खींचतान मची है। रोचक बात यह है कि खड़गे भी दो बार कर्नाटक के सीएम बनते-बनते रह गए। वर्ष 1999 और 2004 में वह प्रमुख दावेदार थे, लेकिन हाईकमान ने उन्हें सीएम नहीं बनाया।

    137 वर्ष के इतिहास में चौथा चुनाव

    • कांग्रेस के 137 वर्ष के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए यह मात्र पांचवां चुनाव होगा। इसके पहले वर्ष 1938 में नेताजी सुभाष चंद्रबोस ने उलटफेर किया था जब उन्होंने महात्मा गांधी के समर्थन वाले पट्टाभी सीतारमैया को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में भारी अंतर से हराया था।
    • इसके अलावा 1950 के चुनाव में पुरुषोत्तम दास टंडन ने जेबी कृपलानी को और 1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराया था। चौथा चुनाव वर्ष 2000 में हुआ जिसमें सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को पराजित किया।  

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